नूर Poetry (page 4)

शब-ए-तारीक हूँ नूर-ए-सहर होने की ख़्वाहिश है

तौक़ीर रज़ा

रुख़ से नक़ाब उन के जो हटती चली गई

तौक़ीर अहमद

चलो के मिल के बदल देते हैं समाजों को

तासीर सिद्दीक़ी

जितने अल्फ़ाज़ हैं सब कहे जा चुके

तारिक़ क़मर

हवा रुकी है तो रक़्स-ए-शरर भी ख़त्म हुआ

तारिक़ क़मर

आज इतना जलाओ कि पिघल जाए मिरा जिस्म

तनवीर सिप्रा

फेंकें भी ये लिबास बदन का उतार के

तनवीर सामानी

भूली-बिसरी रात

तख़्त सिंह

एक एक क़तरा उस का शो'ला-फ़िशाँ सा है

तख़्त सिंह

ला-यख़ुल

तहसीन फ़िराक़ी

जिस ने तेरी याद में सज्दे किए थे ख़ाक पर

ताहिर फ़राज़

अव्वल वही सैराब था सानी भी वही था

तफ़ज़ील अहमद

क़िस्सा-ए-शब

ताबिश कमाल

छटे ग़ुबार-ए-नज़र बाम-ए-तूर आ जाए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

वो नाज़ुक सा तबस्सुम रह गया वहम-ए-हसीं बन कर

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

छटे ग़ुबार-ए-नज़र बाम-ए-तूर आ जाए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

छटे ग़ुबार नज़र बाम-ए-तूर आ जाए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

क्या देखता है हाल के मंज़र इधर भी देख

सय्यदा शान-ए-मेराज

शौक़ से लख़्त-ए-जिगर नूर-ए-नज़र पैदा करो

सय्यद ज़मीर जाफ़री

वही गुल है गुलिस्ताँ में वही है शम्अ' महफ़िल में

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

नज़र पे बैठ गया जो ग़ुबार किस का था

सय्यद मुनीर

दिल का दरवाज़ा खुला हो जैसे

सय्यद मुनीर

ज़िंदगी की हर नफ़स में बे-कली तेरे बग़ैर

सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी

दौर-ए-मय है मगर सुरूर नहीं

सय्यद मोहम्मद ज़फ़र अशक संभली

तौर अपना है अलग ईं से अलग आँ से अलग

सय्यद जमील मदनी

या तो वो क़ुर्ब था या दूर हुआ जाता हूँ

सय्यद बशीर हुसैन बशीर

मुझ को दौलत मिली तिरे ग़म की

सय्यद बशीर हुसैन बशीर

वो बुत मुब्तला-तलब मेहर-तलब वफ़ा-तलब

सय्यद अाग़ा अली महर

सीने में आग आँख सू-ए-दर लगी रहे

सय्यद अाग़ा अली महर

हिज्र है दिल में ख़ाक उड़ती है

सय्यद अाग़ा अली महर

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