पास Poetry (page 44)

नस्लें जो अँधेरे के महाज़ों पे लड़ी हैं

आफ़ताब इक़बाल शमीम

कभी ख़ुद को दर्द-शनास करो कभी आओ ना

आफ़ताब इक़बाल शमीम

मैं सोचता हूँ अगर इस तरफ़ वो आ जाता

आफ़ताब हुसैन

आ मेरे पास और कभी इस तरह चमक

अफ़सर जमशेद

सूरज कोई न कोई सितारा तुलू'अ हो

अफ़सर जमशेद

तिलिस्मी ग़ार का दरवाज़ा

आदिल मंसूरी

हश्र की सुब्ह दरख़्शाँ हो मक़ाम-ए-महमूद

आदिल मंसूरी

बुध

आदिल मंसूरी

मुझे पसंद नहीं ऐसे कारोबार में हूँ

आदिल मंसूरी

होने को यूँ तो शहर में अपना मकान था

आदिल मंसूरी

आँसू

अदील ज़ैदी

मैं आँधियों के पास तलाश-ए-सबा में हूँ

अदा जाफ़री

यही नहीं कि ज़ख़्म-ए-जाँ को चारा-जू मिला नहीं

अदा जाफ़री

क्या जानिए किस बात पे मग़रूर रही हूँ

अदा जाफ़री

कोई संग-ए-रह भी चमक उठा तो सितारा-ए-सहरी कहा

अदा जाफ़री

काँटा सा जो चुभा था वो लौ दे गया है क्या

अदा जाफ़री

हर एहतिमाम है दो दिन की ज़िंदगी के लिए

अबुल मुजाहिद ज़ाहिद

हसरत-ए-दीद रही दीद का ख़्वाहाँ हो कर

अबु मोहम्मद वासिल

तीरा-रंगों के हुआ हक़ में ये तप करना दवा

आबरू शाह मुबारक

अगर अँखियों सीं अँखियों को मिलाओगे तो क्या होगा

आबरू शाह मुबारक

इलाही क्या कभी पूरे ये अरमाँ हो भी सकते हैं

अबरार शाहजहाँपुरी

शायद तुम्हारी याद मिरे पास आ गई

अबरार आज़मी

मुझे भी फ़ुर्सत-ए-नज़्ज़ारा-ए-जमाल न थी

अबरार आज़मी

पोस्टर पर एक ख़बर

अबरार आज़मी

तुम्हारी बज़्म में जिस बात का भी चर्चा था

अबरार आज़मी

किस का है जुर्म किस की ख़ता सोचना पड़ा

अबरार आज़मी

मेरे पास क्या कुछ नहीं

अबरार अहमद

हमारे दुखों का इलाज कहाँ है

अबरार अहमद

क़िस्से से तिरे मेरी कहानी से ज़ियादा

अबरार अहमद

हैराँ नहीं हैं हम कि परेशाँ नहीं हैं हम

अब्र अहसनी गनौरी

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