पास Poetry (page 45)

तुम ने जब घर में अंधेरों को बुला रक्खा है

आबिद आलमी

तुम ने जब घर में अँधेरों को बुला रक्खा है

आबिद आलमी

जफ़ा के ज़िक्र पे वो बद-हवास कैसा है

अब्दुस्समद ’तपिश’

गुमान तोड़ चुका मैं मगर नहीं कोई है

अब्दुर्राहमान वासिफ़

चुप

अब्दुर्रशीद

हर लम्हा मर्ग-ओ-ज़ीस्त में पैकार देखना

अब्दुल्लाह जावेद

अदब में मुद्दई-ए-फ़न तो बे-शुमार मिले

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

कुछ तुम्हें तर्स-ए-ख़ुदा भी है ख़ुदा की वास्ते

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

नीम-चा जल्द म्याँ ही न मियाँ कीजिएगा

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

मरते दम नाम तिरा लब के जो आ जाए क़रीब

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

महफ़िल इश्क़ में जो यार उठे और बैठे

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

जान अपनी चली जाए हे जाए से कसू की

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ग़ैर के दिल पे तू ऐ यार ये क्या बाँधे है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

बदलते मौसमों में आब-ओ-दाना भी नहीं होगा

अब्दुल मन्नान समदी

तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया

अब्दुल हमीद अदम

तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया

अब्दुल हमीद अदम

ग़म-ए-मोहब्बत सता रहा है ग़म-ए-ज़माना मसल रहा है

अब्दुल हमीद अदम

आप की आँख अगर आज गुलाबी होगी

अब्दुल हमीद अदम

किसी दश्त ओ दर से गुज़रना भी क्या

अब्दुल हमीद

क़ुर्ब नस नस में आग भरता है

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

नानी-अमाँ की वफ़ात पर एक नज़्म

अब्दुल अहद साज़

मेरी आँखों से गुज़र कर दिल ओ जाँ में आना

अब्दुल अहद साज़

रातें गुज़ारने को तिरी रहगुज़र के साथ

अब्बास ताबिश

चाँद को तालाब मुझ को ख़्वाब वापस कर दिया

अब्बास ताबिश

अजीब तौर की है अब के सरगिरानी मिरी

अब्बास ताबिश

न हो जिस पे भरोसा उस से हम यारी नहीं रखते

अब्बास दाना

अक़्द-नामे

आशुफ़्ता चंगेज़ी

गुज़र गए हैं जो मौसम कभी न आएँगे

आशुफ़्ता चंगेज़ी

बिखर के फूल फ़ज़ाओं में बास छोड़ गया

आनिस मुईन

इक कर्ब-ए-मुसलसल की सज़ा दें तो किसे दें

आनिस मुईन

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