बिखर के फूल फ़ज़ाओं में बास छोड़ गया
तमाम रंग यहीं आस-पास छोड़ गया
Anwar Masood
Rahat Indori
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Gulzar
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1351) Peoples Rate This
याद है 'आनिस' पहले तुम ख़ुद बिखरे थे
हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और
अंजाम को पहुँचूँगा मैं अंजाम से पहले
वो मेरे हाल पे रोया भी मुस्कुराया भी
गूँजता है बदन में सन्नाटा
बदन की अंधी गली तो जा-ए-अमान ठहरी
तुम्हारे नाम के नीचे खिंची हुई है लकीर
बाहर भी अब अंदर जैसा सन्नाटा है
कितने ही पेड़ ख़ौफ़-ए-ख़िज़ाँ से उजड़ गए
मिलन की साअ'त को इस तरह से अमर किया है
तू मेरा है