आनिस मुईन कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आनिस मुईन

आनिस मुईन कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का आनिस मुईन
नामआनिस मुईन
अंग्रेज़ी नामAanis Moin
जन्म की तारीख1960
मौत की तिथि1986
जन्म स्थानMultan

ये इंतिज़ार सहर का था या तुम्हारा था

ये और बात कि रंग-ए-बहार कम होगा

याद है 'आनिस' पहले तुम ख़ुद बिखरे थे

वो जो प्यासा लगता था सैलाब-ज़दा था

उतारा दिल के वरक़ पर तो कितना पछताया

तुम्हारे नाम के नीचे खिंची हुई है लकीर

था इंतिज़ार मनाएँगे मिल के दीवाली

न थी ज़मीन में वुसअत मिरी नज़र जैसी

न जाने बाहर भी कितने आसेब मुंतज़िर हों

मुमकिन है कि सदियों भी नज़र आए न सूरज

मेरे अपने अंदर एक भँवर था जिस में

मैं अपनी ज़ात की तन्हाई में मुक़य्यद था

क्यूँ खुल गए लोगों पे मिरी ज़ात के असरार

कब बार-ए-तबस्सुम मिरे होंटों से उठेगा

हज़ारों क़ुमक़ुमों से जगमगाता है ये घर लेकिन

हमारी मुस्कुराहट पर न जाना

हैरत से जो यूँ मेरी तरफ़ देख रहे हो

गूँजता है बदन में सन्नाटा

गया था माँगने ख़ुशबू मैं फूल से लेकिन

गहरी सोचें लम्बे दिन और छोटी रातें

गए ज़माने की चाप जिन को समझ रहे हो

इक डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन लें

दरकार तहफ़्फ़ुज़ है प साँस भी लेना है

बिखर के फूल फ़ज़ाओं में बास छोड़ गया

बदन की अंधी गली तो जा-ए-अमान ठहरी

अंजाम को पहुँचूँगा मैं अंजाम से पहले

अंदर की दुनिया से रब्त बढ़ाओ 'आनिस'

अजब अंदाज़ से ये घर गिरा है

आख़िर को रूह तोड़ ही देगी हिसार-ए-जिस्म

आज ज़रा सी देर को अपने अंदर झाँक कर देखा था

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