तनवीर सामानी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का तनवीर सामानी

तनवीर सामानी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का तनवीर सामानी
नामतनवीर सामानी
अंग्रेज़ी नामTanveer Samani

क्यूँ न 'तनवीर' फिर इज़हार की जुरअत कीजे

घरों में क़ैद हैं बस्ती के शोरफ़ा

फ़िक्र की आँच में पिघले तो ये मालूम हुआ

फ़र्ज़ी क़िस्सों झूटी बातों से अक्सर

अपनी सूरत भी कब अपनी लगती है

अपने काँधे पे लिए फिरती है एहसास का बोझ

सूरतों के शहर में रौज़न ही रौज़न देख कर

सोच का ज़हर न अब शाम-ओ-सहर दे कोई

रोज़ तब्दील हुआ है मिरे दिल का मौसम

फेंकें भी ये लिबास बदन का उतार के

ख़ुद से भी इक बात छुपाया करता हूँ

दश्त में जो भी है जैसा मिरा देखा हुआ है

अहबाब हो गए हैं बहुत मुझ से बद-गुमान

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