वो जो प्यासा लगता था सैलाब-ज़दा था
पानी पानी कहते कहते डूब गया है
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आज ज़रा सी देर को अपने अंदर झाँक कर देखा था
वो मेरे हाल पे रोया भी मुस्कुराया भी
ये और बात कि रंग-ए-बहार कम होगा
गूँजता है बदन में सन्नाटा
याद है 'आनिस' पहले तुम ख़ुद बिखरे थे
इक डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन लें
तू मेरा है
एक नज़्म
वो कुछ गहरी सोच में ऐसे डूब गया है
अंदर की दुनिया से रब्त बढ़ाओ 'आनिस'
इक कर्ब-ए-मुसलसल की सज़ा दें तो किसे दें
जीवन को दुख दुख को आग और आग को पानी कहते