पास Poetry (page 6)

मुरव्वत का पास और वफ़ा का लिहाज़

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

मैं ने माना काम है नाला दिल-ए-नाशाद का

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

हर एक गाम पे सज्दा यहाँ रवा होगा

वहीदा नसीम

कोई न चाहने वाला था हुस्न-ए-रुस्वा का

वहीद क़ुरैशी

परोमीथियस

वहीद अख़्तर

कतरा के गुल्सिताँ से जो सू-ए-क़फ़स चले

वहीद अख़्तर

हुस्न और प्यार तिरे पास मैं ले आई हूँ

विश्मा ख़ान विश्मा

सफीर-ए-इश्क़ हमें अब तो हम सफ़र कर लो

विपुल कुमार

जिस भी जगह देखी उस ने अपनी तस्वीर हटा ली थी

विजय शर्मा अर्श

उठ रहा है दम-ब-दम डर का धुआँ

वसाफ़ बासित

चूड़ियाँ

वर्षा गोरछिया

कार्बन-पेपर

वर्षा गोरछिया

क़ज़ा जो दे तो इलाही ज़रा बदल के मुझे

वारिस किरमानी

खोए हुए सहरा तक ऐ बाद-ए-सबा जाना

वारिस किरमानी

एक आश्ना अक्सर पास से गुज़रता है

उषा भदोरिया

आख़िरी तंबीह

उरूज ज़ेहरा ज़ैदी

आख़िरी मुलाक़ातें

उरूज ज़ेहरा ज़ैदी

सौ बातों की बात है प्यारे वो जो ज़ात में होती है

उरूज ज़ेहरा ज़ैदी

मानता नहीं मेरी हुज्जतें भी करता है

उरूज ज़ेहरा ज़ैदी

इश्क़ के हाथों में परचम के सिवा कुछ भी नहीं

उरूज ज़ैदी बदायूनी

रात कई आवारा सपने आँखों में लहराए थे

उनवान चिश्ती

ऐ दिल-ए-ख़ुद-ना-शनास ऐसा भी क्या

उम्मीद फ़ाज़ली

तुम मिरे पास न आओ कि यही बेहतर है

त्रिपुरारि

रात मेरे पास तुझ को देख कर

तसनीम फ़ारूक़ी

नज़र नज़र से मिला कर शराब पीते हैं

तसनीम फ़ारूक़ी

तू क्यूँ पास से उठ चला बैठे बैठे

मीर तस्कीन देहलवी

कर सके दफ़्न न उस कूचे में अहबाब मुझे

मीर तस्कीन देहलवी

बे-मेहर कहते हो उसे जो बेवफ़ा नहीं

मीर तस्कीन देहलवी

लफ़्ज़ दे मुझे कुछ तो

तारिक़ शाहिद

अच्छे लगोगे और भी इतना किया करो

तारिक़ राशीद दरवेश

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