पुल Poetry (page 14)

था जो एक लम्हा विसाल का वो रियाज़ था कई साल का

हसन रिज़वी

कभी शाम-ए-हिज्र गुज़ारते कभी ज़ुल्फ़-ए-यार सँवारते

हसन रिज़वी

कितनी मुश्किल से बहला था ये क्या कर गई शाम

हसन कमाल

ऐ फ़ैरी-टेल

हसन अकबर कमाल

दुख उठाओ कितने ही घर बहार करने में

हसन अकबर कमाल

ज़मीं सरकती है फिर साएबान टूटता है

हसन अब्बास रज़ा

न आरज़ुओं का चाँद चमका न क़ुर्बतों के गुलाब महके

हसन अब्बास रज़ा

मैं तलाश में किसी और की मुझे ढूँढता कोई और है

हसन अब्बास रज़ा

मुझे किसी से किसी बात का गिला ही नहीं

हसन आबिद

तेरे हुस्न की ख़ैर बना दे इक दिन का सुल्तान मुझे

हरबंस तसव्वुर

''दीवानों का नाम अबद तक होता है''

हनीफ़ तरीन

धरती का उपहार मिला जब

हनीफ़ तरीन

जिस की सौंधी सौंधी ख़ुशबू आँगन आँगन पलती थी

हम्माद नियाज़ी

उस पल से

हामिदी काश्मीरी

इदराक

हामिदी काश्मीरी

हम कहाँ कुंज-नशीनों में रहे

हामिदी काश्मीरी

न जाने कब लिखा जाए

हमीदा शाहीन

लुग़त महदूद है

हमीदा शाहीन

मंज़िल कहाँ है दूर तलक रास्ते हैं यार

हामिद इक़बाल सिद्दीक़ी

ख़ुद अपने जज़्ब-ए-मोहब्बत की इंतिहा हूँ मैं

हमीद नागपुरी

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं

हैरत इलाहाबादी

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं

हैरत इलाहाबादी

आज यूँ दर्द तिरा दिल के उफ़ुक़ पर चमका

हाफ़िज़ लुधियानवी

सच ही लिखते जाना

हबीब जालिब

यूँ वो ज़ुल्मत से रहा दस्त-ओ-गरेबाँ यारो

हबीब जालिब

तिरे माथे पे जब तक बल रहा है

हबीब जालिब

कौन बताए कौन सुझाए कौन से देस सिधार गए

हबीब जालिब

बातें तो कुछ ऐसी हैं कि ख़ुद से भी न की जाएँ

हबीब जालिब

तुझ से उम्मीद क्या लगा बैठे

हबीब कैफ़ी

राख को भी कुरेद कर देखो

गुलज़ार

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