पानी Poetry (page 16)

हम रूह-ए-काएनात हैं नक़्श-ए-असास हैं

समद अंसारी

राह मिलती है घर नहीं मिलता

सलमान सईद

बग़दाद

सलमान अंसारी

मेरी मिट्टी में कोई आग सी लग जाती है

सालिम सलीम

काम हर रोज़ ये होता है किस आसानी से

सालिम सलीम

मंज़र-ए-ख़ेमा-ए-शब देखने वाला होगा

सलीम सिद्दीक़ी

आग भी बरसी दरख़्तों पर वहीं

सलीम शहज़ाद

रेत पर मुझ को गुमाँ पानी का था

सलीम शहज़ाद

वो ख़ूँ बहा कि शहर का सदक़ा उतर गया

सलीम शाहिद

रास्ता चाहिए दरिया की फ़रावानी को

सलीम शाहिद

क़ाइल करूँ किस बात से मैं तुझ को सितमगर

सलीम शाहिद

फिर कोई महशर उठाने मेरी तन्हाई में आ

सलीम शाहिद

मेरे एहसास की रग रग में समाने वाले

सलीम शाहिद

फ़र्श-ए-ज़मीं पे बर्ग-ए-ख़िज़ानी का रंग है

सलीम शाहिद

दिल भर आए और अब्र-ए-दीदा में पानी न हो

सलीम शाहिद

दर्द की ख़ुश्बू से सारा घर मोअ'त्तर हो गया

सलीम शाहिद

बुझ गए शो'ले धुआँ आँखों को पानी दे गया

सलीम शाहिद

अब्र सरका चाँद की चेहरा-नुमाई हो गई

सलीम शाहिद

अब शहर की और दश्त की है एक कहानी

सलीम शाहिद

तारे जो कभी अश्क-फ़िशानी से निकलते

सलीम कौसर

लौ को छूने की हवस में एक चेहरा जल गया

सलीम कौसर

डूबने वाले भी तन्हा थे तन्हा देखने वाले थे

सलीम कौसर

दस्त-ए-दुआ को कासा-ए-साइल समझते हो

सलीम कौसर

चश्म बे-ख़्वाब हुई शहर की वीरानी से

सलीम कौसर

न जाने शेर में किस दर्द का हवाला था

सलीम अहमद

बैठे हैं सुनहरी कश्ती में और सामने नीला पानी है

सलीम अहमद

आज तो नहीं मिलता ओर-छोर दरिया का

सलीम अहमद

मज़दूर लड़की

सलाम मछली शहरी

शजर के भीतर छाती चिड़िया

सलाहुद्दीन महमूद

क्या आतिश-ए-फ़ुर्क़त ने बुरी पाई है तासीर

सख़ी लख़नवी

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