पानी Poetry (page 18)

रस्म-ए-दुनिया तो किसी तौर निभाते जाओ

सदा अम्बालवी

दो ही किरदार थे कहानी में

सचिन शालिनी

नामा-बर कोई नहीं है तो किसी लहर के हाथ

साबिर ज़फ़र

नज़र से दूर हैं दिल से जुदा न हम हैं न तुम

साबिर ज़फ़र

डूबता हूँ जो हटाता हूँ नज़र पानी से

साबिर ज़फ़र

अक्स पानी में अगर क़ैद किया जा सकता

साबिर ज़फ़र

खेल रचाया उस ने सारा वर्ना फिर क्यूँ होता मैं

साबिर वसीम

वो और होंगे नुफ़ूस बे-दिल जो कहकशाएँ शुमारते हैं

साबिर

चक्खोगे अगर प्यास बढ़ा देगा ये पानी

सबा इकराम

जो आ के रुके दामन पे 'सबा' वो अश्क नहीं है पानी है

सबा अफ़ग़ानी

गुलशन की फ़क़त फूलों से नहीं काँटों से भी ज़ीनत होती है

सबा अफ़ग़ानी

हम कि चेहरे पे न लाए कभी वीरानी को

सादुल्लाह शाह

नाव काग़ज़ की सही कुछ तो नज़र से गुज़रे

सादुल्लाह कलीम

फिर कोई हादिसा हुआ ही नहीं

रूही कंजाही

जब कि सारी काएनात उस की निगहबानी में है

रोहित सोनी ‘ताबिश’

वीनस

रियाज़ लतीफ़

सवेरा

रियाज़ लतीफ़

मुस्तक़बिल की आँख

रियाज़ लतीफ़

बनारस

रियाज़ लतीफ़

आमद

रियाज़ लतीफ़

रेत है इज़हार के पानी के पार

रियाज़ लतीफ़

मैं वहाँ हूँ कि नहीं चाहे तो जा कर देखे

रियाज़ लतीफ़

किनारा-दर-किनारा मुस्तक़िल मंजधार है यूँ भी

रियाज़ लतीफ़

खींच कर ले जाएगा अंजान महवर की तरफ़

रियाज़ लतीफ़

बदन के गुम्बद-ए-ख़स्ता को साफ़ क्या करता

रियाज़ लतीफ़

पी के ऐ वाइज़ नदामत है मुझे

रियाज़ ख़ैराबादी

ज़रूर पाँव में अपने हिना वो मल के चले

रियाज़ ख़ैराबादी

उतरी है आसमाँ से जो कल उठा तो ला

रियाज़ ख़ैराबादी

थका ले और दौर-ए-आसमाँ तक

रियाज़ ख़ैराबादी

तेज़ है पीने में हो जाएगी आसानी मुझे

रियाज़ ख़ैराबादी

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