पत्थर Poetry (page 41)

जहाँ वो ज़ुल्फ़-ए-बरहम कारगर महसूस होती है

अब्दुल हमीद अदम

बहुत से लोगों को ग़म ने जिला के मार दिया

अब्दुल हमीद अदम

दम-ब-दम मुझ पे चला कर तलवार

अब्दुल हमीद

एक मिश्अल थी बुझा दी उस ने

अब्दुल हमीद

इस तिलिस्म-ए-रोज़-ओ-शब से तो कभी निकलो ज़रा

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

होंकते दश्त में इक ग़म का समुंदर देखो

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

हर इंसाँ अपने होने की सज़ा है

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

हसरत-ए-दीद नहीं ज़ौक़-ए-तमाशा भी नहीं

अब्दुल अहद साज़

तिलिस्म-ए-ख़्वाब से मेरा बदन पत्थर नहीं होता

अब्बास ताबिश

तिलिस्म-ए-ख़्वाब से मेरा बदन पत्थर नहीं होता

अब्बास ताबिश

तेरे लिए सब छोड़ के तेरा न रहा मैं

अब्बास ताबिश

निगाह-ए-अव्वलीं का है तक़ाज़ा देखते रहना

अब्बास ताबिश

मेरी तन्हाई बढ़ाते हैं चले जाते हैं

अब्बास ताबिश

कोई टकरा के सुबुक-सर भी तो हो सकता है

अब्बास ताबिश

फ़क़त माल-ओ-ज़र-ए-दीवार-ओ-दर अच्छा नहीं लगता

अब्बास ताबिश

डूब कर भी न पड़ा फ़र्क़ गिराँ-जानी में

अब्बास ताबिश

चाँद का पत्थर बाँध के तन से उतरी मंज़र-ए-ख़्वाब में चुप

अब्बास ताबिश

कोई सुबूत-ए-जुर्म जगह पर नहीं मिला

अब्बास दाना

चश्म-ए-ज़ाहिर-बीं को हर इक पेश-मंज़र आश्ना

अब्बास अलवी

क्या है ऊँचाई मोहब्बत की बताते जाओ

अातिश इंदौरी

सरशार हूँ साक़ी की आँखों के तसव्वुर से

आसी रामनगरी

न मेरे दिल न जिगर पर न दीदा-ए-तर पर

आसी ग़ाज़ीपुरी

सभी को अपना समझता हूँ क्या हुआ है मुझे

आशुफ़्ता चंगेज़ी

हमारे बारे में क्या क्या न कुछ कहा होगा

आशुफ़्ता चंगेज़ी

जीवन को दुख दुख को आग और आग को पानी कहते

आनिस मुईन

सलोनी सर्दियों की नज़्म

आमिर सुहैल

जब भी तक़दीर का हल्का सा इशारा होगा

आलोक श्रीवास्तव

जिस ने किए हैं फूल निछावर कभी कभी

आल-ए-अहमद सूरूर

क्या ज़मीं क्या आसमाँ कुछ भी नहीं

आफ़ाक़ सिद्दीक़ी

मिरी ख़ामोशियों की झील में फिर

आदिल रज़ा मंसूरी

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