पत्थर Poetry (page 3)

गिर गए जब सब्ज़ मंज़र टूट कर

ज़फ़र ताबिश

तमाम शहर में कोई भी रू-शनास न था

ज़फ़र सिद्दीक़ी

ज़र्द पत्तों को हवा साथ लिए फिरती है

ज़फ़र रबाब

फूला-फला शजर तो समर पर भी आएगा

ज़फ़र कलीम

मुझ को समझो न हर्फ़-ए-ग़लत की तरह

ज़फ़र कलीम

इन दिनों मैं ग़ुर्बतों की शाम के मंज़र में हूँ

ज़फ़र कलीम

हो चुकी हिजरत तो फिर क्या फ़र्ज़ है घर देखना

ज़फ़र कलीम

घर से निकाले पाँव तो रस्ते सिमट गए

ज़फ़र कलीम

एक जुम्बिश में कट भी सकते हैं

ज़फ़र इक़बाल ज़फ़र

दरिया गुज़र गए हैं समुंदर गुज़र गए

ज़फ़र इक़बाल ज़फ़र

वो क़हर था कि रात का पत्थर पिघल पड़ा

ज़फ़र इक़बाल

उठा सकते नहीं जब चूम कर ही छोड़ना अच्छा

ज़फ़र इक़बाल

वीराँ थी रात चाँद का पत्थर सियाह था

ज़फ़र इक़बाल

दिल का ये दश्त अरसा-ए-महशर लगा मुझे

ज़फ़र इक़बाल

बिजली गिरी है कल किसी उजड़े मकान पर

ज़फ़र इक़बाल

ब-ज़ाहिर सेहत अच्छी है जो बीमारी ज़ियादा है

ज़फ़र इक़बाल

बहुत सुलझी हुई बातों को भी उलझाए रखते हैं

ज़फ़र इक़बाल

मैं ही दस्तक देने वाला मैं ही दस्तक सुनने वाला

ज़फर इमाम

अपने दिल-ए-मुज़्तर को बेताब ही रहने दो

ज़फ़र हमीदी

रौशनी परछाईं पैकर आख़िरी

ज़फ़र गोरखपुरी

तिरा यक़ीन हूँ मैं कब से इस गुमान में था

ज़फ़र गौरी

सिरहाने बेबसी रोती रही है

ज़फ़र अंसारी ज़फ़र

थक के पत्थर की तरह बैठा हूँ रस्ते में 'ज़फ़र'

यूसुफ़ ज़फ़र

बे-तलब एक क़दम घर से न बाहर जाऊँ

यूसुफ़ ज़फ़र

पटरियों की चमकती हुई धार पर फ़ासले अपनी गर्दन कटाते रहे

यूसुफ़ तक़ी

सारा बदन है ख़ून से क्यूँ तर उसे दिखा

युसूफ़ जमाल

सहन-ए-चमन में हर-सू पत्थर

यज़दानी जालंधरी

रेत के इक शहर में आबाद हैं दर दर के लोग

यासीन अफ़ज़ाल

पलकों पे रुका क़तरा-ए-मुज़्तर की तरह हूँ

यासीन अफ़ज़ाल

नहीं मा'लूम अब की साल मय-ख़ाने पे क्या गुज़रा

इनामुल्लाह ख़ाँ यक़ीन

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.