पनदार Poetry (page 3)

आए थे तेरे शहर में कितनी लगन से हम

हिमायत अली शाएर

मुझे विर्सा नहीं मिला

हमीदा शाहीन

या-अली कह कर बुत-ए-पिंदार तोड़ा चाहिए

हैदर अली आतिश

तुर्रा उसे जो हुस्न-ए-दिल-आज़ार ने किया

हैदर अली आतिश

हम शाद हों क्या जब तक आज़ार सलामत है

गुलज़ार बुख़ारी

अब के बाज़ार में ये तुर्फ़ा तमाशा देखा

गुलाम जीलानी असग़र

तेरी आँखों में जो नशा है पज़ीराई का

गोपाल मित्तल

स्वाँग अब तर्क-ए-मोहब्बत का रचाया जाए

गोपाल मित्तल

दिए से लौ नहीं पिंदार ले कर जा रही है

ग़ज़ाला शाहिद

समन-बरों से चमन दौलत-ए-नुमू माँगे

गौहर होशियारपुरी

मय-ख़ाना है बिना-ए-शर-ओ-ख़ैर तो नहीं

एजाज़ वारसी

दिल की रग़बत है जब आप ही की तरफ़

एहसान दानिश

सूरत-ए-हाल अब तो वो नक़्श-ए-ख़याली हो गया

दत्तात्रिया कैफ़ी

की तर्क-ए-मय तो माइल-ए-पिंदार हो गया

दाग़ देहलवी

उस को दुनिया और न उक़्बा चाहिए

बेदम शाह वारसी

गूँजता शहरों में तन्हाई का सन्नाटा तो है

बाक़र मेहदी

पान की सुर्ख़ी नहीं लब पर बुत-ए-ख़ूँ-ख़्वार के

ज़फ़र

कौन वाँ जुब्बा-ओ-दस्तार में आ सकता है

अज़ीम हैदर सय्यद

इक शहर ज़िया-बार यहाँ भी है वहाँ भी

अशहर हाशमी

आग़ाज़-ए-आशिक़ी का अल्लाह रे ज़माना

अर्शी भोपाली

आशिक़-ए-गेसू-ओ-क़द तेरे गुनहगार हैं सब

अरशद अली ख़ान क़लक़

हिना-रंग हाथों में

अरमान नज्मी

गरचे क्या कुछ थे मगर आप को कुछ भी न गिना

अनवर देहलवी

यूसुफ़-ए-हुस्न का हुस्न आप ख़रीदार रहा

अनवर देहलवी

कुछ उज़्र पस-ए-वा'दा-ख़िलाफ़ी नहीं रखते

अंजुम ख़लीक़

तेशा-ब-कफ़ को आइना-गर कह दिया गया

अंजुम इरफ़ानी

शिकस्त-ए-अना

अमजद इस्लाम अमजद

याद के सहरा में कुछ तो ज़िंदगी आए नज़र

अमजद इस्लाम अमजद

न बेवफ़ाई का डर था न ग़म जुदाई का

अमीर मीनाई

तस्वीर-ए-दर्द

अल्लामा इक़बाल

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