कदम Poetry (page 26)

फ़रेब-ए-हुस्न से गब्र-ओ-मुसलमाँ का चलन बिगड़ा

हैदर अली आतिश

बुलबुल गुलों से देख के तुझ को बिगड़ गया

हैदर अली आतिश

बाज़ार-ए-दहर में तिरी मंज़िल कहाँ न थी

हैदर अली आतिश

आख़िर-ए-कार चले तीर की रफ़्तार क़दम

हैदर अली आतिश

यारा-ए-गुफ़्तुगू नहीं आँखों में दम नहीं

हाफ़िज़ लुधियानवी

है वज्ह-ए-सुकून-ए-दिल-ए-आशुफ़्ता-नवा भी

हाफ़िज़ लुधियानवी

लुट गया वो तिरे कूचे में धरा जिस ने क़दम

हफ़ीज़ जौनपुरी

वो हम-कनार है जाम-ए-शराब हाथ में है

हफ़ीज़ जौनपुरी

बैठ जाता हूँ जहाँ छाँव घनी होती है

हफ़ीज़ जौनपुरी

सख़्त-गीर आक़ा

हफ़ीज़ जालंधरी

ये और दौर है अब और कुछ न फ़रमाए

हफ़ीज़ जालंधरी

वो अब्र जो मय-ख़्वार की तुर्बत पे न बरसे

हफ़ीज़ जालंधरी

ओ दिल तोड़ के जाने वाले दिल की बात बताता जा

हफ़ीज़ जालंधरी

मुझे शाद रखना कि नाशाद रखना

हफ़ीज़ जालंधरी

कभी ज़मीं पे कभी आसमाँ पे छाए जा

हफ़ीज़ जालंधरी

हर क़दम पर हम समझते थे कि मंज़िल आ गई

हफ़ीज़ होशियारपुरी

कुछ सोच के परवाना महफ़िल में जला होगा

हफ़ीज़ बनारसी

गुमराह कह के पहले जो मुझ से ख़फ़ा हुए

हफ़ीज़ बनारसी

मैं क्या हूँ कौन हूँ ये भी ख़बर नहीं मुझ को

हादी मछलीशहरी

तुम्हारे गाँव से जो रास्ता निकलता है

हबीब तनवीर

शेर से शाइरी से डरते हैं

हबीब जालिब

महताब-सिफ़त लोग यहाँ ख़ाक-बसर हैं

हबीब जालिब

जागने वालो ता-ब-सहर ख़ामोश रहो

हबीब जालिब

हुजूम देख के रस्ता नहीं बदलते हम

हबीब जालिब

अपनों ने वो रंज दिए हैं बेगाने याद आते हैं

हबीब जालिब

वो उट्ठे हैं तेवर बदलते हुए

हबीब मूसवी

फ़लक की गर्दिशें ऐसी नहीं जिन में क़दम ठहरे

हबीब मूसवी

हम अहल-ए-आरज़ू पे अजब वक़्त आ पड़ा

हबीब हैदराबादी

हर क़दम पर है एहतिसाब-ए-अमल

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

अब बहुत दूर नहीं मंज़िल-ए-दोस्त

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

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