लुट गया वो तिरे कूचे में धरा जिस ने क़दम
इस तरह की भी कहीं राहज़नी होती है
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Rahat Indori
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
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तमसील ओ इस्तिआरा ओ तश्बीह सब दुरुस्त
दिल पर लगा रही है वो नीची निगाह चोट
ओ आँख बदल के जाने वाले
दिल इस लिए है दोस्त कि दिल में है जा-ए-दोस्त
याद है पहले-पहल की वो मुलाक़ात की बात
सदमे जो कुछ हों दिल पे सहिए
मोहब्बत क्या बढ़ी है वहम बाहम बढ़ते जाते हैं
जुनूँ के जोश में फिरते हैं मारे मारे अब
क़सम निबाह की खाई थी उम्र भर के लिए
हाए अब कौन लगी दिल की बुझाने आए
दुनिया में यूँ तो हर कोई अपनी सी कर गया
साथ रहते इतनी मुद्दत हो गई