ओ आँख बदल के जाने वाले
कुछ ध्यान किसी की आजिज़ी का
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Habib Jalib
Gulzar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Anwar Masood
Rahat Indori
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(728) Peoples Rate This
जब न था ज़ब्त तो क्यूँ आए अयादत के लिए
सदमे जो कुछ हों दिल पे सहिए
जो काबे से निकले जगह दैर में की
वो हसीं बाम पर नहीं आता
दिल में हैं वस्ल के अरमान बहुत
पी हम ने बहुत शराब तौबा
कहा ये किस ने कि वादे का ए'तिबार न था
क़ैद में इतना ज़माना हो गया
लिख दे आमिल कोई ऐसा ता'वीज़
शिकवा करते हैं ज़बाँ से न गिला करते हैं
शब-ए-वस्ल है बहस हुज्जत अबस
शब-ए-विसाल लगाया जो उन को सीने से