जो काबे से निकले जगह दैर में की
मिले इन बुतों को मकाँ कैसे कैसे
Habib Jalib
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Gulzar
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
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अब तो नहीं आसरा किसी का
जाओ भी जिगर क्या है जो बेदाद करोगे
हमें याद रखना हमें याद करना
तमसील ओ इस्तिआरा ओ तश्बीह सब दुरुस्त
बताऊँ क्या किसी को मैं कि तुम क्या चीज़ हो क्या हो
क़ासिद ख़िलाफ़-ए-ख़त कहीं तेरा बयाँ न हो
शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे
पी कर दो घूँट देख ज़ाहिद
नाज़नीं जिन के कुछ नियाज़ नहीं
लिख दे आमिल कोई ऐसा ता'वीज़
जुनूँ के जोश में फिरते हैं मारे मारे अब
उन की यकताई का दावा मिट गया