शुजा ख़ावर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शुजा ख़ावर

शुजा ख़ावर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शुजा ख़ावर
नामशुजा ख़ावर
अंग्रेज़ी नामShuja Khaavar
जन्म की तारीख1948
मौत की तिथि2012
जन्म स्थानDelhi

ज़िंदगी भर ज़िंदा रहने की यही तरकीब है

ये दुनिया-दारी और इरफ़ान का दावा 'शुजा-ख़ावर'

या तो जो ना-फ़हम हैं वो बोलते हैं इन दिनों

वस्ल हुआ पर दिल में तमन्ना

उस को न ख़याल आए तो हम मुँह से कहें क्या

उस के बयान से हुए हर दिल अज़ीज़ हम

उस बेवफ़ा का शहर है और वक़्त-ए-शाम है

तंहाई का इक और मज़ा लूट रहा हूँ

तंगी-ए-हैअत से टकराता हुआ जोश-ए-मवाद

'शुजा' वो ख़ैरियत पूछें तो हैरत में न पड़ जाना

'शुजा' मौत से पहले ज़रूर जी लेना

सातों आलम सर करने के बा'द इक दिन की छुट्टी ले कर

सर्दी भी ख़त्म हो गई बरसात भी गई

सभी ज़िंदगी पे फ़रेफ़्ता कोई मौत पर नहीं शेफ़्ता

सब का ही नाम लेते हैं इक तुझ को छोड़ कर

रिंद खड़े हैं मिम्बर मिम्बर

क़लम में ज़ोर जितना है जुदाई की बदौलत है

मिरे हालात को बस यूँ समझ लो

कुछ नहीं बोला तो मर जाएगा अंदर से 'शुजाअ'

करम है मुझ पे किसी और के जलाने को

जो ज़िंदा हो उसे तो मार देते हैं जहाँ वाले

जिन को क़ुदरत है तख़य्युल पर उन्हें दिखता नहीं

जैसा मंज़र मिले गवारा कर

इसी पर ख़ुश हैं कि इक दूसरे के साथ रहते हैं

हम सूफ़ियों का दोनों तरफ़ से ज़ियाँ हुआ

हज़ार रंग में मुमकिन है दर्द का इज़हार

घर में बेचैनी हो तो अगले सफ़र की सोचना

दो चार नहीं सैंकड़ों शेर उस पे कहे हैं

दिल में नफ़रत हो तो चेहरे पे भी ले आता हूँ

दिल की बातें दूसरों से मत कहो लुट जाओगे

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