शुजा ख़ावर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शुजा ख़ावर (page 2)

शुजा ख़ावर कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शुजा ख़ावर (page 2)
नामशुजा ख़ावर
अंग्रेज़ी नामShuja Khaavar
जन्म की तारीख1948
मौत की तिथि2012
जन्म स्थानDelhi

दर्द जाएगा तो कुछ कुछ जाएगा पर देखना

चारागरी की बात किसी और से करो

औरों से पूछिए तो हक़ीक़त पता चले

आप इधर आए उधर दीन और ईमान गए

यहाँ वहाँ की बुलंदी में शान थोड़ी है

यहाँ तो क़ाफ़िले भर को अकेला छोड़ देते हैं

विज्दान में वो आया इल्हाम हुआ मुझ को

उस को न ख़याल आए तो हम मुँह से कहें क्या

उस के आने पे भी नहीं आई

उस बेवफ़ा का शहर है और वक़्त-ए-शाम है

उधर तो दार पर रक्खा हुआ है

तकल्लुफ़ छोड़ कर मेरे बराबर बैठ जाएगा

तभी आएगी लबों पर मिरे दिल की बात खुल के

शिद्दत-ए-इंतिज़ार काम आई

सर्दी भी ख़त्म हो गई बरसात भी गई

समझते क्या हैं इन दो चार रंगों को उधर वाले

रुख़ हवा का ये कि जैसे उस को आसानी पड़े

रखते हैं अपने ख़्वाबों को अब तक अज़ीज़ हम

पार उतरने के लिए तो ख़ैर बिल्कुल चाहिए

पहले हुआ जो करते थे हम वो नहीं रहे

निकाल ज़ात से बाहर निकाल तन्हाई

मेरा दिल हाथों में लो तो क्या तुम्हारा जाएगा

मैं ने सिर्फ़ अपने नशेमन को सजाया साल भर

लोगों ने हम को शहर का क़ाज़ी बना दिया

ख़ुदा ने चाहा तो सब इंतिज़ाम कर देंगे

ख़ुदा को आज़माना चाहिए था

ख़ुद फ़रिश्ते तो नहीं हैं जो मुझे ले जा रहे हैं

कहाँ कहाँ है ख़ुदा जाने राब्ता दिल का

जो तुम से पहले आए थे उन की कारिस्तानी देखो

जो क़िस्सा था ख़ुद से छुपाया हुआ

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