चारागरी की बात किसी और से करो
अब हो गए हैं यारो पुराने मरीज़ हम
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चलो ये तो हादसा हो गया कि वो साएबान नहीं रहा
हालत उसे दिल की न दिखाई न ज़बाँ की
'शुजा' वो ख़ैरियत पूछें तो हैरत में न पड़ जाना
आप इधर आए उधर दीन और ईमान गए
रखते हैं अपने ख़्वाबों को अब तक अज़ीज़ हम
उस को न ख़याल आए तो हम मुँह से कहें क्या
सर्दी भी ख़त्म हो गई बरसात भी गई
लोगों ने हम को शहर का क़ाज़ी बना दिया
कुछ नहीं बोला तो मर जाएगा अंदर से 'शुजाअ'
जैसा मंज़र मिले गवारा कर
उस के बयान से हुए हर दिल अज़ीज़ हम
इस तरह पहुँचेगा कैसे पाया-ए-तकमील को