घर में बेचैनी हो तो अगले सफ़र की सोचना
फिर सफ़र नाकाम हो जाए तो घर की सोचना
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ख़ुदा को आज़माना चाहिए था
सर्दी भी ख़त्म हो गई बरसात भी गई
दोस्त का घर और दुश्मन का पता मालूम है
जैसा मंज़र मिले गवारा कर
जो तुम से पहले आए थे उन की कारिस्तानी देखो
चेहरे पे थोड़ी रक्खी है
दूसरी बातों में हम को हो गया घाटा बहुत
असर में देखिए अब कौन कम निकलता है
हालत उसे दिल की न दिखाई न ज़बाँ की
उस के आने पे भी नहीं आई
'शुजा' मौत से पहले ज़रूर जी लेना
उस को न ख़याल आए तो हम मुँह से कहें क्या