हम सूफ़ियों का दोनों तरफ़ से ज़ियाँ हुआ
इरफ़ान-ए-ज़ात भी न हुआ रात भी गई
Anwar Masood
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Gulzar
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
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'शुजा' वो ख़ैरियत पूछें तो हैरत में न पड़ जाना
उस बेवफ़ा का शहर है और वक़्त-ए-शाम है
जिन को क़ुदरत है तख़य्युल पर उन्हें दिखता नहीं
ख़ुदा ने चाहा तो सब इंतिज़ाम कर देंगे
हालात न बदलें तो इसी बात पे रोना
हालत उसे दिल की न दिखाई न ज़बाँ की
कुछ नहीं बोला तो मर जाएगा अंदर से 'शुजाअ'
तभी आएगी लबों पर मिरे दिल की बात खुल के
दश्त को जा तो रहे हो सोच लो कैसा लगेगा
पहले हुआ जो करते थे हम वो नहीं रहे
चेहरे पे थोड़ी रक्खी है