नवनीत शर्मा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नवनीत शर्मा

नवनीत शर्मा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नवनीत शर्मा
नामनवनीत शर्मा
अंग्रेज़ी नामNavneet Sharma

फ़ोन पर बात हुई उस से तो अंदाज़ा हुआ

मिरे क़रीब कोई ख़्वाब कैसे आ पाता

मिरे अंदर मिरा कुछ भी नहीं बस तू है बाक़ी

किस ने सोचा था कि ख़ुद से मिल कर

जिया हूँ उम्र भर मैं भी अकेला

एक तस्वीर को हटाया बस

चोट खाए हुए लम्हों का सितम है कि उसे

अपना बादल तलाशने के लिए

यूँ ही गलियों में मुक़द्दर दर-ब-दर मेरा भी है

ये जो मुझ में अज़ाब है प्यारे

सीने में मिरे बोझ भी और दहका चमन भी

रास्ते से गए हटाए हम

कोई मुझ से ख़फ़ा है इस लिए ख़ुद से ख़फ़ा हूँ

ख़ुद से उस ने नजात पा ली है

जो ये कहते थे कि मर जाना है

हुए हैं फिर से अँधेरों के हौसले रौशन

दर्द इस दर्जा मिले ज़ब्त में कामिल हुआ मैं

बिना रोए गुज़रना उस गली से

अब पसर आए हैं रिश्तों पे कुहासे कितने

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