सीने में मिरे बोझ भी और दहका चमन भी

सीने में मिरे बोझ भी और दहका चमन भी

क्या चीज़ तिरी याद है ख़ुशबू भी घुटन भी

पहले तो तमन्ना थी तिरी सिर्फ़ मगर अब

आँखों में नज़र आने लगी मेरी थकन भी

है इश्क़ सफ़र दिल से फ़क़त दिल का मगर क्यूँ

इस राह में आते हैं बयाबाँ भी चमन भी

जो दिल पे गुज़रती हैं रक़म कर उसे दिल पर

ज़ख़्मों की नुमाइश न बने बज़्म-ए-सुख़न भी

तपती हुई धरती को मिरे छालों ने सींचा

कुछ काम तो आया है चलो बावला-पन भी

हैरत है, मुझे साँस वहीं आती है जानाँ

घुट जाना सिखाए जहाँ यादों की पवन भी

कुम्हलाया ज़रा रंग तो वो सोच में डूबे

आहों से मिला करता है कुछ साँवलापन भी

पैरों के तले से कहीं मिट्टी न खिसक जाए

ज़िद है मिरी मुट्ठी में हो धरती भी गगन भी

महबूब के चेहरे के मुक़ाबिल भी रहा पर

इस दौर में आया तो हुआ चाँद मिशन भी

'नवनीत' तू है फ़ज़्ल की ऊँचाई का हिस्सा

रख दिल में अगर नूर तो रख ज़ेहन में फ़न भी

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In Hindi By Famous Poet Navneet Sharma. is written by Navneet Sharma. Complete Poem in Hindi by Navneet Sharma. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.