एक तस्वीर को हटाया बस
दिल की दीवार ख़ाली ख़ाली है
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मिरे क़रीब कोई ख़्वाब कैसे आ पाता
चोट खाए हुए लम्हों का सितम है कि उसे
दर्द इस दर्जा मिले ज़ब्त में कामिल हुआ मैं
ख़ुद से उस ने नजात पा ली है
ये जो मुझ में अज़ाब है प्यारे
कोई मुझ से ख़फ़ा है इस लिए ख़ुद से ख़फ़ा हूँ
अब पसर आए हैं रिश्तों पे कुहासे कितने
रास्ते से गए हटाए हम
हुए हैं फिर से अँधेरों के हौसले रौशन
मिरे अंदर मिरा कुछ भी नहीं बस तू है बाक़ी
जिया हूँ उम्र भर मैं भी अकेला