ज़िंदगी भर ज़िंदा रहने की यही तरकीब है
उस तरफ़ जाना नहीं बिल्कुल जिधर की सोचना
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घर में बेचैनी हो तो अगले सफ़र की सोचना
यहाँ तो क़ाफ़िले भर को अकेला छोड़ देते हैं
'शुजा' मौत से पहले ज़रूर जी लेना
आप इधर आए उधर दीन और ईमान गए
जैसा मंज़र मिले गवारा कर
सब का ही नाम लेते हैं इक तुझ को छोड़ कर
बरपा तिरे विसाल का तूफ़ान हो चुका
हालत उसे दिल की न दिखाई न ज़बाँ की
दश्त को जा तो रहे हो सोच लो कैसा लगेगा
कहाँ कहाँ है ख़ुदा जाने राब्ता दिल का
अब तेरे लिए हैं न ज़माने के लिए हैं
जो ज़िंदा हो उसे तो मार देते हैं जहाँ वाले