पी कर दो घूँट देख ज़ाहिद
क्या तुझ से कहूँ शराब क्या है
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क़ैद में इतना ज़माना हो गया
ख़राब-ओ-ख़स्ता हुए ख़ाक में शबाब मिला
सच है इस एक पर्दे में छुपते हैं लाख ऐब
मुसीबतें तो उठा कर बड़ी बड़ी भूले
साथ रहते इतनी मुद्दत हो गई
हाए अब कौन लगी दिल की बुझाने आए
दिल इस लिए है दोस्त कि दिल में है जा-ए-दोस्त
वो हम-कनार है जाम-ए-शराब हाथ में है
अदा परियों की सूरत हूर की आँखें ग़ज़ालों की
कहा ये किस ने कि वादे का ए'तिबार न था
उस को आज़ादी न मिलने का हमें मक़्दूर है
आदमी का आदमी हर हाल में हमदर्द हो