श्याम सुंदर लाल बर्क़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का श्याम सुंदर लाल बर्क़

श्याम सुंदर लाल बर्क़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का श्याम सुंदर लाल बर्क़
नामश्याम सुंदर लाल बर्क़
अंग्रेज़ी नामShyam Sunder Lal Barq

ज़िंदा हो जाता हूँ मैं जब यार का आता है ख़त

वो हर हर क़दम पर सँभलते हुए

तिरी तस्वीर से रहमत बरसती है गुरु-नानक

सू-ए-सहरा ही मुझे ले गई वहशत मेरी

नावक-ज़नी निगाह की ऐ जान-ए-जाँ है हेच

मिरे दिल की अब ऐ अश्क-ए-नदामत शुस्त-ओ-शू कर दे

ख़ुदाया हिन्द पर तेरी इनायत हो इनायत हो

ख़ुदाया हिन्द का रौशन चराग़-ए-आरज़ू कर दे

जब समाअ'त ही न हो उस की तो है बेकार शरह

हिज्र ग़म का बयान है गोया

हमारे दिल के आईने में है तस्वीर नानक की

बादा-ए-इश्क़ से सरशार गुरु-नानक थे

ऐ रश्क-ए-महर कोई भी तुझ सा हसीं नहीं

अबस है दूरी का उस के शिकवा बग़ल में अपने वो दिल-रुबा है

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