कदम Poetry (page 37)

पर्दे मिरी निगाह के भी दरमियाँ न थे

अशरफ़ रफ़ी

हर एक रुख़ से मुझे लुत्फ़-ए-जुस्तुजू आए

अशरफ़ रफ़ी

इस जौर ओ जफ़ा से तिरे ज़िन्हार न टूटे

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

दिल धड़कता है कि तू यार है सौदाई का

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

बस-कि दीदार तिरा जल्वा-ए-क़ुद्दूसी है

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

मैं अपनी प्यास में खोया रहा ख़बर न हुई

अशफ़ाक़ हुसैन

यहीं कहीं कोई आवाज़ दे रहा था मुझे

अशफ़ाक़ हुसैन

जो लोग मेरा नक़्श-ए-क़दम चूम रहे थे

असग़र राही

रौनक़ तिरे कूचे की बढ़ाने चले आए

असग़र राही

जब तक वो शो'ला-रू मिरे पेश-ए-नज़र न था

असद जाफ़री

सैल-ए-गिर्या का सीने से रिश्ता बहुत

असअ'द बदायुनी

किसी गुमान-ओ-यक़ीं की हद में वो शोख़-ए-पर्दा-नशीं नहीं है

आरज़ू लखनवी

किस मस्त अदा से आँख लड़ी मतवाला बना लहरा के गिरा

आरज़ू लखनवी

ऐ मिरे ज़ख़्म-ए-दिल-नवाज़ ग़म को ख़ुशी बनाए जा

आरज़ू लखनवी

उफ़ुक़ के ख़ूनीं धुँदलकों का सुब्ह नाम नहीं

अर्शी भोपाली

नशीली छाँव में बीते हुए ज़मानों को

अर्शी भोपाली

फ़ज़ाएँ कैफ़-ए-बहाराँ से जब महकती हैं

अरशद सिद्दीक़ी

सोते हैं फैल फैल के सारे पलंग पर

अरशद अली ख़ान क़लक़

सैर करते उसे देखा है जो बाज़ारों में

अरशद अली ख़ान क़लक़

रोज़-ए-अव्वल से असीर ऐ दिल-ए-नाशाद हैं हम

अरशद अली ख़ान क़लक़

परतव-ए-रुख़ का तिरे दिल में गुज़र रहता है

अरशद अली ख़ान क़लक़

जुनूँ बरसाए पत्थर आसमाँ ने मज़रा-ए-जाँ पर

अरशद अली ख़ान क़लक़

ये आइना था मगर ग़म की रहगुज़ार में था

अर्श सहबाई

हज़ार हादसात-ए-ग़म रवाँ-दवाँ लिए हुए

अर्श सहबाई

एहसास-ए-हुस्न बन के नज़र में समा गए

अर्श मलसियानी

हिना-रंग हाथों में

अरमान नज्मी

ताज-ए-ज़र्रीं न कोई मसनद-ए-शाही माँगूँ

अरमान नज्मी

गुज़रते दिन के दुखों का पता तो देता था

अरमान नज्मी

गिरते उभरते डूबते धारे से कट गया

अरमान नज्मी

इक बे-निशान हर्फ़-ए-सदा की तरफ़ न देख

अरमान नज्मी

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