किस्मत Poetry (page 14)

फ़िदा अल्लाह की ख़िल्क़त पे जिस का जिस्म ओ जाँ होगा

दत्तात्रिया कैफ़ी

शहर से क्या गई जानिब-ए-दश्त-ए-ज़र ज़िंदगी फ़ाख़्ता

दानियाल तरीर

शीशे से ज़ियादा नाज़ुक था ये शीशा-ए-दिल जो टूट गया

दानिश फ़राही

ज़िंदगी कर गई तूफ़ाँ के हवाले मुझ को

दानिश अलीगढ़ी

तदबीर से क़िस्मत की बुराई नहीं जाती

दाग़ देहलवी

तेरी सूरत को देखता हूँ मैं

दाग़ देहलवी

सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं

दाग़ देहलवी

पयामी कामयाब आए न आए

दाग़ देहलवी

इन आँखों ने क्या क्या तमाशा न देखा

दाग़ देहलवी

दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें

दाग़ देहलवी

अभी हमारी मोहब्बत किसी को क्या मालूम

दाग़ देहलवी

दुनिया पत्थर फेंक रही है झुँझला कर फ़र्ज़ानों पर

डी. राज कँवल

दिलकशी नाम को भी आलम-ए-इम्काँ में नहीं

चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी

फ़ना का होश आना ज़िंदगी का दर्द-ए-सर जाना

चकबस्त ब्रिज नारायण

मेरे ख़ामोश ख़ुदा

बुशरा एजाज़

मिरी ज़िंदगी है तन्हा तुम्हें कुछ असर तो होता

बबल्स होरा सबा

ऐ 'जलीस' अब इक तुम्हीं में आदमियत हो तो हो

ब्रहमा नन्द जलीस

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

बिस्मिल अज़ीमाबादी

निगाह-ए-क़हर होगी या मोहब्बत की नज़र होगी

बिस्मिल अज़ीमाबादी

इतना भी न साक़ी होश रहा पी कर ये हमें मय-ख़ाना था

बिस्मिल इलाहाबादी

मुश्किल

बिलाल अहमद

बात करने की शब-ए-वस्ल इजाज़त दे दो

बेख़ुद देहलवी

वो देखते जाते हैं कनखियों से इधर भी

बेख़ुद देहलवी

पछताओगे फिर हम से शरारत नहीं अच्छी

बेख़ुद देहलवी

ख़ुदा रक्खे तुझे मेरी बुराई देखने वाले

बेख़ुद देहलवी

बात करने की शब-ए-वस्ल इजाज़त दे दो

बेख़ुद देहलवी

तुम्हारे हुस्न की तस्ख़ीर आम होती है

बहज़ाद लखनवी

लब पे है फ़रियाद अश्कों की रवानी हो चुकी

बहज़ाद लखनवी

उस को दुनिया और न उक़्बा चाहिए

बेदम शाह वारसी

क़स्र-ए-जानाँ तक रसाई हो किसी तदबीर से

बेदम शाह वारसी

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