रास्ता Poetry (page 2)

जल्द मंज़िल तक पहुँचने का जुनूँ उस को रहा

ज़फर इमाम

देख लेते हैं अंधेरे में भी रस्ता अपना

ज़फर इमाम

मेरे अंदर का ग़ुरूर अंदर गुज़रता रह गया

ज़फर इमाम

धूप निकली कभी बादल से ढकी रहती है

ज़फर इमाम

मैं ज़िंदगी का नक़्शा तरतीब दे रहा हूँ

ज़फ़र हमीदी

देखें क़रीब से भी तो अच्छा दिखाई दे

ज़फ़र गोरखपुरी

मिरे भी सुर्ख़-रू होने का इक मौक़ा निकल आता

यूसुफ़ तक़ी

ज़िंदा रहने का वो अफ़्सून-ए-अजब याद नहीं

यज़दानी जालंधरी

मुसलसल एक ही तस्वीर चश्म-ए-तर में रही

यासमीन हमीद

ज़ंजीर ज़ुल्फ़-ए-सियाह समुंदर निगाह-ए-शोख़

यासीन ज़मीर

ज़ेहन का कुछ मुंतशिर तो हाल का ख़स्ता रहा

यासीन अफ़ज़ाल

हर नया रस्ता निकलता है जो मंज़िल के लिए

याक़ूब आमिर

इक ख़ला सा है जिधर देखो इधर कुछ भी नहीं

याक़ूब आमिर

क़ब्र पर बाद-ए-फ़ना आइएगा

वज़ीर अली सबा लखनवी

चलो अपनी भी जानिब अब चलें हम

वज़ीर आग़ा

निरवान

वज़ीर आग़ा

मैं और तू

वज़ीर आग़ा

सितारा तो कभी का जल-बुझा है

वज़ीर आग़ा

मैं अपने ख़्वाब से बिछड़ा नज़र नहीं आता

वसीम बरेलवी

दोस्ती छूटे छुड़ाए से किसू के किस तरह

वलीउल्लाह मुहिब

दुनिया अपनी मंज़िल पहुँची तुम घर में बेज़ार पड़े

वजद चुगताई

खंडर आसेब और फूल

वहीद अख़्तर

ख़ुश्बू है कभी गुल है कभी शम्अ कभी है

वहीद अख़्तर

तुम ने हमारा साथ दिया तो ख़ुद को हम पा जाएँगे

विश्वनाथ दर्द

न हम-सफ़र है न हम-नवा है

विकास शर्मा राज़

कई सम्तों में रस्ता बट रहा है

विकास शर्मा राज़

बीते वक़्त का चेहरा ढूँढता रहता है

विजय शर्मा अर्श

आख़िरी तंबीह

उरूज ज़ेहरा ज़ैदी

राह जो चलनी है उस में ख़ूबियाँ कोई नहीं

उर्मिलामाधव

मुझे मेहमाँ ही जानो रात भर का

उमर अंसारी

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