रास्ता Poetry (page 13)

नित-नए नक़्श से बातिन को सजाता हुआ मैं

अरशद जमाल 'सारिम'

सैर करते उसे देखा है जो बाज़ारों में

अरशद अली ख़ान क़लक़

मिरे ख़ेमे ख़स्ता-हाल में हैं मिरे रस्ते धुँद के जाल में हैं

अरशद अब्दुल हमीद

जब भी दुश्मन बन के इस ने वार किया

आरिफ़ शफ़ीक़

खींच कर तलवार जब तर्क-ए-सितमगर रह गया

अनवरी जहाँ बेगम हिजाब

मुझे ये जुस्तुजू क्यूँ हो कि क्या हूँ और किया था मैं

अनवर शऊर

मैं ने 'अनवर' इस लिए बाँधी कलाई पर घड़ी

अनवर मसूद

मैं देख भी न सका मेरे गिर्द क्या गया था

अनवर मसूद

क्यूँ किसी और को दुख दर्द सुनाऊँ अपने

अनवर मसूद

कैसी कैसी आयतें मस्तूर हैं नुक़्ते के बीच

अनवर मसूद

अगले दिन कुछ ऐसे होंगे

अनवर मसूद

उस की सूरत उस की आँखें उस का चेहरा भूल गए

अनवार हबीब

तू भी ऐसा सोचती होगी

अनवार फ़ितरत

उम्र की सारी थकन लाद के घर जाता हूँ

अंजुम सलीमी

यहाँ तो फिर वही दीवार-ओ-दर निकल आए

अंजुम रूमानी

ऐ शब-ए-ग़म जो हम भी घर जाएँ

अंजुम ख़याली

दस्तार-ए-हुनर बख़्शिश-ए-दरबार नहीं है

अंजुम ख़लीक़

एक नज़्म

अनीस नागी

सेल्फ़ मेड लोगों का अलमिया

अमजद इस्लाम अमजद

हम-ज़ाद

अमजद इस्लाम अमजद

एक लड़की

अमजद इस्लाम अमजद

चश्म-ए-बे-ख़्वाब को सामान बहुत

अमजद इस्लाम अमजद

सैंकड़ों ही रहनुमा हैं रास्ता कोई नहीं

अमजद इस्लाम अमजद

रात मैं इस कश्मकश में एक पल सोया नहीं

अमजद इस्लाम अमजद

कब से हम लोग इस भँवर में हैं

अमजद इस्लाम अमजद

दश्त-ए-बला-ए-शौक़ में ख़ेमे लगाए हैं

अमीर हम्ज़ा साक़िब

जंगल

अम्बरीन सलाहुद्दीन

बहुत बे-ज़ार होती जा रही हूँ

अम्बरीन सलाहुद्दीन

वो लम्हा मुझ को शश्दर कर गया था

अम्बर बहराईची

मिरे चेहरे पे जो आँसू गिरा था

अम्बर बहराईची

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