जंगल

एक अजीब सा जंगल है इस शहर के बीच उग आया

घना मुहीब और गहरा जिस की ख़ूब घनेरी छाया

यूँ लगता है जैसे मेरे भीतर का इक साया

इक दिन पहले कहीं नहीं था ऐसा सब्ज़ अँधेरा

ऊँची शाख़ों की परतों का गुम्बद जैसा घेरा

देखूँ फिर हैरान रहूँ इस शहर में ऐसा डेरा

काँटों वाले ज़हर भरे बल खाते शाख़चे आगे

पीछे हटते जाएँ रस्ते जंगल जैसे भागे

जिस भी रुख़ पर पाँव धरूँ उस दिल में डर सा जागे

मेरे पैर के नीचे से इक शाख़ नई उग आए

तुम तक जाता हर इक रस्ता ऐसे रुकता जाए

क्यूँ कर मुझ को मिलने दें फिर ख़ौफ़ के बोझल साए

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Jangal In Hindi By Famous Poet Ambarin Salahuddin. Jangal is written by Ambarin Salahuddin. Complete Poem Jangal in Hindi by Ambarin Salahuddin. Download free Jangal Poem for Youth in PDF. Jangal is a Poem on Inspiration for young students. Share Jangal with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.