रोक Poetry (page 6)

रेस्तोराँ

अहमद नदीम क़ासमी

ज़मीं से उगती है या आसमाँ से आती है

अहमद मुश्ताक़

इक उम्र की और ज़रूरत है वही शाम-ओ-सहर करने के लिए

अहमद मुश्ताक़

ये तअल्लुक़ तिरी पहचान बना सकता था

अहमद ख़याल

शाम के ब'अद सितारों को सँभलने न दिया

अहमद कमाल परवाज़ी

लैंडस्केप

अहमद हमेश

तिरछी नज़र न हो तरफ़-ए-दिल तो क्या करूँ

आग़ा हज्जू शरफ़

गुज़रे तअ'ल्लुक़ात का अब वास्ता न दे

अफ़ज़ल अलवी

हम कसी से पूछे बग़ैर ज़िंदा रहते हैं

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

कर भी लूँ अगर ख़्वाब की ताबीर कोई और

अफ़ज़ाल फ़िरदौस

मेला

आफ़ताब शम्सी

न कोई रोक सका ख़्वाब के सफ़ीरों को

आदिल मंसूरी

तअल्लुक़ अपनी जगह तुझ से बरक़रार भी है

अदीम हाशमी

आगे बढ़ने वाले

अबरार अहमद

अगर तुम रोक दो इज़हार-ए-लाचारी करूँगा

अब्दुर्राहमान वासिफ़

अगर हो ख़ौफ़-ज़दा ताक़त-ए-बयाँ कैसी

अब्दुर्रहीम नश्तर

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