प्रकाश Poetry (page 5)

अपना नफ़स नफ़स है कि शो'ला कहें जिसे

वाहिद प्रेमी

पस-ए-दीवार-ए-ज़िंदाँ

वहीद क़ुरैशी

परोमीथियस

वहीद अख़्तर

मौत की जुस्तुजू

वहीद अख़्तर

शफ़्फ़ाफियाँ

वहीद अहमद

हर रौशनी की बूँद पे लब रख चुकी है रात

वहाब दानिश

क्या ख़ला आसमान था पहले

विशाल खुल्लर

वो निहत्ता नहीं अकेला है

विकास शर्मा राज़

जुनूँ की पैरवी से ख़ुश नहीं हूँ

विकास शर्मा राज़

एक तस्वीर जो तश्कील नहीं हो पाई

वसाफ़ बासित

क़ज़ा जो दे तो इलाही ज़रा बदल के मुझे

वारिस किरमानी

कुछ तो मोहब्बतों की वफ़ाएँ निभाऊँ मैं

उषा भदोरिया

रूठना चाहो तो अब हरगिज़ मनाने का नहीं

उम्मीद ख़्वाजा

इक ऐसा मरहला-ए-रह-गुज़र भी आता है

उम्मीद फ़ाज़ली

सफ़र की हद थी जो रात थी

उमर फ़रहत

मिरी भँवों के ऐन दरमियान बन गया

उमैर नजमी

जाने फिर उस के दिल में क्या बात आ गई थी

त्रिपुरारि

मरते मरते रौशनी का ख़्वाब तो पूरा हुआ

तौसीफ़ तबस्सुम

दामन बचा रहे थे कि चेहरा भी जल गया

तौक़ीर तक़ी

मौज-ए-ख़याल में न किसी जल-परी में आए

तौक़ीर तक़ी

वो रौशनी जो शफ़क़ का लिबास छोड़ गई

तौक़ीर अब्बास

न जाने आग कैसी आइनों में सो रही थी

तौक़ीर अब्बास

मिरी सच्चाई हर सूरत तिरी मुट्ठी से निकलेगी

ताैफ़ीक़ साग़र

चल कर कभी हमारे अंधेरे भी देखिए

तसनीम फ़ारूक़ी

ज़मीं पर सर-निगूँ बैठा हुआ हूँ

तस्लीम इलाही ज़ुल्फ़ी

वो हम से क्यूँ अलग था क्यूँ दुखी था

तसव्वुर ज़ैदी

अश्क टपकें लाख होंटों की हँसी जाती नहीं

तरुणा मिश्रा

सुकूत-ए-शब में

तारिक़ क़मर

कभी न आएँगे जाने वाले

तारिक़ क़मर

ये रोज़-ओ-शब की मसाफ़त ये आना जाना मिरा

तारिक़ क़मर

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