बदनाम Poetry (page 6)

तिरे ख़याल का चर्चा तिरे ख़याल की बात

इन्दिरा वर्मा

वो दिल जिस ने हमें रुस्वा किया था

इनाम नदीम

नहीं मालूम ये क्या कर चुके हैं

इनाम नदीम

आसमाँ मिल न सका धरती पे आया न गया

इमरान हुसैन आज़ाद

मेरे आगे तज़्किरा माशूक़-ओ-आशिक़ का बुरा

इमदाद अली बहर

ये बातें झूटी बातें हैं

इब्न-ए-इंशा

कुछ दे इसे रुख़्सत कर

इब्न-ए-इंशा

सुनते हैं फिर छुप छुप उन के घर में आते जाते हो

इब्न-ए-इंशा

कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा

इब्न-ए-इंशा

हमें तुम पे गुमान-ए-वहशत था हम लोगों को रुस्वा किया तुम ने

इब्न-ए-इंशा

दिल इश्क़ में बे-पायाँ सौदा हो तो ऐसा हो

इब्न-ए-इंशा

देख हमारे माथे पर ये दश्त-ए-तलब की धूल मियाँ

इब्न-ए-इंशा

वो दिल जो था किसी के ग़म का महरम हो गया रुस्वा

हुरमतुल इकराम

उन को रुस्वा मुझे ख़राब न कर

हसरत मोहानी

देखना भी तो उन्हें दूर से देखा करना

हसरत मोहानी

ज़रा सी चोट लगी थी कि चलना भूल गए

हसीब सोज़

साँझ-सवेरे फिरते हैं हम जाने किस वीराने में

हसन रिज़वी

क़सीदा तुझ से ग़ज़ल तुझ से मर्सिया तुझ से

हसन नईम

किसी के हिज्र में यूँ टूट कर रोया नहीं करते

हसन अब्बास रज़ा

हमें तो ख़्वाहिश-ए-दुनिया ने रुस्वा कर दिया है

हसन अब्बास रज़ा

सैर-ए-दुनिया से ग़रज़ थी महव-ए-दुनिया कर दिया

हरी चंद अख़्तर

रात के दर पे ये दस्तक ये मुसलसल दस्तक

हनीफ़ फ़ौक़

देखिए रुस्वा न हो जाए कहीं कार-ए-जुनूँ

हनीफ़ अख़गर

इस तरह अहद-ए-तमन्ना को गुज़ारे जाइए

हनीफ़ अख़गर

हर वफ़ा ना-आश्ना से भी वफ़ा करना पड़ी

हामिद इलाहाबादी

छोड़िए छोड़िए ये बातें तो अफ़्साने हैं

हमीद जाज़िब

तिश्ना-ए-अज़ली

हमीद अलमास

जब के रुस्वा हुए इंकार है सच बात में क्या

हैदर अली आतिश

शो'ला-ए-दर्द ब-उन्वान-ए-तजल्ला ही सही

हाफ़िज़ लुधियानवी

कौन कहता है कि महरूमी का शिकवा न करो

हफ़ीज़ मेरठी

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