वर्ष Poetry (page 3)

ये एक बात समझने में रात हो गई है

तहज़ीब हाफ़ी

बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता

तहज़ीब हाफ़ी

तिरी गली में गए कितने माह ओ साल हुए

तहसीन फ़िराक़ी

बढ़ रहा हूँ ख़याल से आगे

ताहिर अज़ीम

कहाँ आ गई हो

ताबिश कमाल

धूमें मचाएँ सब्ज़ा रौंदें फूलों को पामाल करें

ताबिश देहलवी

ज़वाल की आख़िरी हिचकियाँ

तबस्सुम काश्मीरी

पुरानी मोटर

सय्यद ज़मीर जाफ़री

इतनी मुद्दत बा'द मिले हो कुछ तो दिल का हाल कहो

सय्यद शकील दस्नवी

यकुम मई

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

क़ुर्बानी के बकरे

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

मुशाएरा

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

इम्तिहान

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

'चार्ली-चैपलिन'

सय्यद काशिफ़ रज़ा

बदन को वज्द तिरे बे-हिसाब-ओ-हद आए

सय्यद काशिफ़ रज़ा

लरज़ रहा था फ़लक अर्ज़-ए-हाल ऐसा था

सय्यद अमीन अशरफ़

दरख़्शाँ हो जो वो मह-ज़ादा-ए-शब

सय्यद अमीन अशरफ़

उल्टे सीधे गिरे पड़े हैं पेड़

सूर्यभानु गुप्त

ख़्वाब देखता हूँ

सुरूर बाराबंकवी

सदियों का दर्द मेरे कलेजे में पाल कर

सूरज नारायण

जो कश्मकश थी तिरा इंतिज़ार करते हुए

सुलतान निज़ामी

जो कुछ हुआ सो हुआ अब सवाल ही क्या है

सुहा मुजद्ददी

चंद रोज़ और मिरी जान फ़क़त चंद ही रोज़

सूफ़ी तबस्सुम

इन्द्र-धनुष बन जाएँ

सुबोध लाल साक़ी

मुझे अब हवा-ए-चमन नहीं कि क़फ़स में गूना क़रार है

सिराज लखनवी

इस नए साल के स्वागत के लिए पहले से

सिदरा सहर इमरान

जहन्नम से पहले जहन्नम

सिदरा सहर इमरान

वो सर्द धूप रेत समुंदर कहाँ गया

सिदरा सहर इमरान

बे-ख़याली में कहा था कि शनासाई नहीं

सिदरा सहर इमरान

अपनी आँखों को अक़ीदत से लगा के रख ली

सिदरा सहर इमरान

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