वृक्षारोपण Poetry (page 17)

मिरे शजर तुझे मौसम नया बनाते रहें

असअ'द बदायुनी

जिसे न मेरी उदासी का कुछ ख़याल आया

असअ'द बदायुनी

हवा के पास बस इक ताज़ियाना होता है

असअ'द बदायुनी

गाँव की आँख से बस्ती की नज़र से देखा

असअ'द बदायुनी

न कोई जल्वती न कोई ख़ल्वती न कोई ख़ास था न कोई आम था

आरज़ू लखनवी

मैं ख़ाक छानता हूँ आफ़्ताब देखता हूँ

अरशद महमूद नाशाद

ज़मीं की कोख से पहले शजर निकालता है

अरशद महमूद अरशद

डोरा नहीं है सुरमे का चश्म-ए-सियाह में

अरशद अली ख़ान क़लक़

बे-ज़बानों को भी गोयाई सिखाना चाहिए

अरशद अली ख़ान क़लक़

फ़सील-ए-सब्र में रौज़न बनाना चाहती है

अरशद अब्दुल हमीद

मेरे प्यारे वतन

अर्श मलसियानी

दिमाग़-ओ-दिल पे हो क्या असर अँधेरे का

अरमान नज्मी

बदली हुई दुनिया की नज़र देख रहे हैं

अर्जुमंद बानो अफ़्शाँ

हुजूम शोला में था हल्क़ा-ए-शरर में था

अनवर सिद्दीक़ी

तुझ को तो क़ुव्वत-ए-इज़हार ज़माने से मिली

अनवर सदीद

शिकवा-ए-गर्दिश-ए-हालात लिए फिरता है

अनवर मसूद

धूप हो गए साए जल गए शजर जैसे

अनवर अंजुम

आओ देखें अहल-ए-वफ़ा की होती है तौक़ीर कहाँ

अनवर मोअज़्ज़म

ये अलामत कौन सी है किस से पूछूँ ऐ हवा

अनसर अली अनसर

जुर्म ठहरा हाल से आगे का नक़्शा देखना

अनसर अली अनसर

जिन के आँगन में अमीरी का शजर लगता है

अंजुम रहबर

जहाँ सीनों में दिल शानों पे सर आबाद होते हैं

अंजुम ख़लीक़

तेशा-ब-कफ़ को आइना-गर कह दिया गया

अंजुम इरफ़ानी

अपनी जेब थी ख़ाली ख़ाली करते क्या

अंजुम अज़ीमाबादी

एक नज़्म

अनीस नागी

म'अरका जब छिड़ गया तो क्या हुआ हम से सुनो

अनीस अशफ़ाक़

हमेशा किसी इम्तिहाँ में रहा

अनीस अशफ़ाक़

रौशनी कम है

अमजद नजमी

ऐ दिल-ए-बे-ख़बर

अमजद इस्लाम अमजद

कब से हम लोग इस भँवर में हैं

अमजद इस्लाम अमजद

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