शौक Poetry (page 23)

दरियाओं का सहराओं में बहना मिरा क़िस्सा

रशीद क़ैसरानी

अपने ज़िंदा जिस्म की गुफ़्तार में खोया हुआ

रशीद निसार

वस्ल के दिन का इशारा है कि ढल जाऊँगा

रशीद लखनवी

शराब-ए-नाब का क़तरा जो साग़र से निकल जाए

रशीद लखनवी

अगर दिला ग़म-ए-गेसू-ए-यार बढ़ जाता

रशीद लखनवी

सहरा-ए-बे-ख़याल में जल-थल कहाँ के हैं

रसा चुग़ताई

बुतों में किस बला की है कशिश अल्लाह ही जाने

रंजूर अज़ीमाबादी

यक़ीनन है कोई माह-ए-मुनव्वर पीछे चिलमन के

रंजूर अज़ीमाबादी

होता है मेहरबान कहाँ पर ख़ुदा-ए-इश्क़

राना आमिर लियाक़त

थकन का बोझ बदन से उतारते हैं हम

रम्ज़ी असीम

घर है तिरा तू शौक़ से आने के लिए आ

रम्ज़ आफ़ाक़ी

तिरे इंतिज़ार में इस तरह मिरा अहद-ए-शौक़ गुज़र गया

राम रियाज़

मुझे कैफ़-ए-हिज्र अज़ीज़ है तू ज़र-ए-विसाल समेट ले

राम रियाज़

ये घनी छाँव ये ठंडक ये दिल-ओ-जाँ का सुकूँ

राम कृष्ण मुज़्तर

गर्दिश-ए-जाम भी है रक़्स भी है साज़ भी है

राम कृष्ण मुज़्तर

दिल-ओ-नज़र में न पैदा हुई शकेबाई

राम कृष्ण मुज़्तर

हम हैं मंज़र सियह आसमानों का है

राजेन्द्र मनचंदा बानी

दिल में ख़ुशबू सी उतर जाती है सीने में नूर सा ढल जाता है

राजेन्द्र मनचंदा बानी

चाँद की अव्वल किरन मंज़र-ब-मंज़र आएगी

राजेन्द्र मनचंदा बानी

अजीब तजरबा था भीड़ से गुज़रने का

राजेन्द्र मनचंदा बानी

चलो माना कि फुर्तीले नहीं थे

राजेन्द्र कलकल

ज़ौक़-ए-सुजूद ले गया मुझ को कहाँ कहाँ

राज कुमार सूरी नदीम

नख़्ल-ए-उमीद-ओ-आरज़ू बे-बर्ग-ओ-बार है

राज कुमार सूरी नदीम

ये कर्बला है नज़्र-ए-बला हम हुए कि तुम

रईस अमरोहवी

मुक़र्रेबीन में रम्ज़-आशना कहाँ निकले

रईस अमरोहवी

दुनिया को क्या ख़बर? मिरी दुनिया फिर आ गई

रईस अमरोहवी

बता क्या क्या तुझे ऐ शौक-ए-हैराँ याद आता है

रईस अमरोहवी

क्यूँ न हम याद किसी को सहर-ओ-शाम करें

रहमत इलाही बर्क़ आज़मी

दिल की बर्बादी के आसार अभी बाक़ी हैं

राही शहाबी

चाँद और चकोर

राही मासूम रज़ा

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