राजसी Poetry (page 6)

करूँ शिकवा न क्यूँ चर्ख़-ए-कुहन से

रजब अली बेग सुरूर

पहले ये शुक्र कि हम हद्द-ए-अदब से न बढ़े

रईस अमरोहवी

उर्दू का जनाज़ा है ज़रा धूम से निकले

रईस अमरोहवी

शिकवा करने से कोई शख़्स ख़फ़ा होता है

रईस अमरोहवी

तन्हाई

राही मासूम रज़ा

ख़ंदगी ख़ुश लब तबस्सुम मिस्ल-ए-अरमाँ हो गए

इरफ़ान अहमद मीर

रौशनी मुझ से गुरेज़ाँ है तो शिकवा भी नहीं

इक़बाल अज़ीम

न तो काम रखिए शिकार से न तो दिल लगाइए सैर से

इंशा अल्लाह ख़ान

सूली चढ़े जो यार के क़द पर फ़िदा न हो

इम्दाद इमाम असर

जफ़ाएँ होती हैं घुटता है दम ऐसा भी होता है

इम्दाद इमाम असर

महरम के सितारे टूटते हैं

इमदाद अली बहर

हम ख़िज़ाँ की अगर ख़बर रखते

इमदाद अली बहर

दम-ए-मर्ग बालीं पर आया तो होता

इमदाद अली बहर

ग़ैर-निसाबी तारीख़

इलियास बाबर आवान

सुनते हैं फिर छुप छुप उन के घर में आते जाते हो

इब्न-ए-इंशा

दिल सी चीज़ के गाहक होंगे दो या एक हज़ार के बीच

इब्न-ए-इंशा

वो तक़ाज़ा-ए-जुनूँ अब के बहारों में न था

होश तिर्मिज़ी

इस का नहीं है ग़म कोई, जाँ से अगर गुज़र गए

हज़ीं लुधियानवी

इस का नहीं है ग़म कोई जाँ से अगर गुज़र गए

हज़ीं लुधियानवी

बद-गुमाँ आप हैं क्यूँ आप से शिकवा है किसे

हसरत मोहानी

तुझ से गरवीदा यक ज़माना रहा

हसरत मोहानी

तिरे दर्द से जिस को निस्बत नहीं है

हसरत मोहानी

सितम हो जाए तम्हीद-ए-करम ऐसा भी होता है

हसरत मोहानी

देखना भी तो उन्हें दूर से देखा करना

हसरत मोहानी

बाम पर आने लगे वो सामना होने लगा

हसरत मोहानी

गधों का चैलन्ज

हरफ़न लखनवी

इस तरह अहद-ए-तमन्ना को गुज़ारे जाइए

हनीफ़ अख़गर

अपनी तक़दीर का शिकवा नहीं लिख्खा मैं ने

हामिद मुख़्तार हामिद

वो चाल चल कि ज़माना भी साथ चलने लगे

हमीद नागपुरी

कौन कहता है कि महरूमी का शिकवा न करो

हफ़ीज़ मेरठी

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