लेख Poetry (page 4)

इक महक सी दम-ए-तहरीर कहाँ से आई

शानुल हक़ हक़्क़ी

तलख़ीस के बदन में तफ़्सीर बोलती है

सरवर अरमान

रौशनी से तीरगी ताबीर कर दी जाएगी

सरवर अरमान

अगर उल्टी भी हो ऐ 'मशरिक़ी' तदबीर सीधी हो

सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी

ग़ुबार-ए-फ़िक्र को तहरीर करता रहता हूँ

सलीम शुजाअ अंसारी

धड़कनें बन के जो सीने में रहा करता था

सलीम शुजाअ अंसारी

ज़ुल्मत है तो फिर शो'ला-ए-शब-गीर निकालो

सलीम शाहिद

मत पूछ हर्फ़-ए-दर्द की तफ़्सीर कुछ भी हो

सलीम शाहिद

जुरअत-ए-इज़हार का उक़्दा यहाँ कैसे खुले

सलीम शाहिद

हर्फ़-ए-बे-मतलब की मैं ने किस क़दर तफ़्सीर की

सलीम शाहिद

बे-वज़्अ शब-ओ-रोज़ की तस्वीर दिखा कर

सलीम शाहिद

वो जो आए थे बहुत मंसब-ओ-जागीर के साथ

सलीम कौसर

आख़िरी पड़ाव

सलीम फ़िगार

चेहरे पे उस के अश्क की तहरीर बन गई

सलीम बेताब

हर शय की अक़ीदत से तस्वीर नहीं बनती

साजिद सिद्दीक़ी लखनवी

रिसाइकिलबिन

साइमा असमा

प्यार का तोहफ़ा

साहिर लुधियानवी

गाँधी

साहिर होशियारपुरी

अहबाब भी हैं ख़ूब कि तश्हीर कर गए

सहबा वहीद

मैं उसे समझूँ न समझूँ दिल को होता है ज़रूर

सहबा अख़्तर

कुल जहाँ इक आईना है हुस्न की तहरीर का

सहबा अख़्तर

नया फ़्रेम

सईदुद्दीन

उम्र भर लिखते रहे फिर भी वरक़ सादा रहा

साबिर ज़फ़र

दिन को मिस्मार हुए रात को तामीर हुए

साबिर ज़फ़र

चाँदनी रात में शानों से ढलकती चादर

साबिर दत्त

अब तो यूँ लब पे मिरे हर्फ़-ए-सदाक़त आए

रूही कंजाही

था निगाहों में बसाया जाने किस तस्वीर को

रिज़वानूरर्ज़ा रिज़वान

हर मौसम में ख़ाली-पन की मजबूरी हो जाओगे

रउफ़ रज़ा

दिल की इमारत झूटे जज़्बों पर ता'मीर नहीं करना

रशीद अयाँ

ज़ख़्म इस ज़ख़्म पे तहरीर किया जाएगा

रम्ज़ी असीम

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