तलख़ीस के बदन में तफ़्सीर बोलती है

तलख़ीस के बदन में तफ़्सीर बोलती है

तकमील-ए-आरज़ू में तदबीर बोलती है

ये मो'जिज़ा भी देखा हम ने कमाल-ए-फ़न का

चुप हो अगर मुसव्विर तस्वीर बोलती है

तज़ईन-ए-अंजुमन के हम ने जो ख़्वाब देखे

अब किर्चियों में उन की ता'बीर बोलती है

वो लब-कुशा हो जिस दम लगता है हर किसी को

हर लफ़्ज़ में उसी की तक़दीर बोलती है

बनता है मुफ़लिसों का वो ग़म-गुसार लेकिन

अंदाज़-ए-गुफ़्तुगू में जागीर बोलती है

जज़्बों पे लाख कोई पाबंदियाँ लगा दे

इज़हार में उन्ही की तासीर बोलती है

ख़ामोश हैं क़फ़स के दीवार-ओ-दर तो क्या है

टकरा के हर क़दम से ज़ंजीर बोलती है

जब आगही का अज़दर डसता है आदमी को

मफ़्हूम नाचते हैं तहरीर बोलती है

(886) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Sarwar Arman. is written by Sarwar Arman. Complete Poem in Hindi by Sarwar Arman. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.