वफ़ा Poetry (page 72)

हर आन नई शान है हर लम्हा नया है

अब्दुल मन्नान तरज़ी

बज़्म में वो बैठता है जब भी आगे सामने

अब्दुल मन्नान समदी

जो उन्हें वफ़ा की सूझी तो न ज़ीस्त ने वफ़ा की

अब्दुल मजीद सालिक

इश्क़ है बे-गुदाज़ क्यूँ हुस्न है बे-नियाज़ क्यूँ

अब्दुल मजीद सालिक

मिरे दिल में है कि पूछूँ कभी मुर्शिद-ए-मुग़ाँ से

अब्दुल मजीद सालिक

हम-नफ़सो उजड़ गईं मेहर-ओ-वफ़ा की बस्तियाँ

अब्दुल मजीद सालिक

बेवफ़ा कहिए बा-वफ़ा कहिए

अब्दुल मजीद ख़ाँ मजीद

मोहतात ओ होशियार तो बे-इंतिहा हूँ मैं

अब्दुल हमीद अदम

कितनी बे-साख़्ता ख़ता हूँ मैं

अब्दुल हमीद अदम

कश्ती चला रहा है मगर किस अदा के साथ

अब्दुल हमीद अदम

हर परी-वश को ख़ुदा तस्लीम कर लेता हूँ मैं

अब्दुल हमीद अदम

हर दुश्मन-ए-वफ़ा मुझे महबूब हो गया

अब्दुल हमीद अदम

छेड़ो तो उस हसीन को छेड़ो जो यार हो

अब्दुल हमीद अदम

लहू की बूँद मिस्ल-ए-आइना हर दर पे रक्खी थी

अब्दुल हमीद साक़ी

इस से पहले कि हमें अहल-ए-जफ़ा रुस्वा करें

अब्दुल हमीद साक़ी

क्या सहल समझे हो कहीं धब्बा छुटा न हो

अब्दुल हलीम शरर

क्या सहल समझे हो कहीं धब्बा छुटा न हो

अब्दुल हलीम शरर

बहार बन के ख़िज़ाँ को न यूँ दिलासा दे

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

फिर रग-शो'ला-ए-जाँ-सोज़ में नश्तर गुज़रा

अब्दुल हादी वफ़ा

ज़ाहिरन मौत है क़ज़ा है इश्क़

अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़

पीरी में शौक़ हौसला-फ़रसा नहीं रहा

अब्दुल ग़फ़ूर नस्साख़

क़ज़ा से क़र्ज़ किस मुश्किल से ली उम्र-ए-बक़ा हम ने

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

उस से उम्मीद-ए-वफ़ा ऐ दिल-ए-नाशाद न कर

अब्दुल अलीम आसि

ईद उस परी-वश की

अब्दुल अहद साज़

मिज़ाज-ए-सहल-तलब अपना रुख़्सतें माँगे

अब्दुल अहद साज़

वही दर्द है वही बेबसी तिरे गाँव में मिरे शहर में

अब्बास दाना

उस की वफ़ा न मेरी वफ़ा का सवाल था

अब्बास दाना

मिरा ख़ुलूस अभी सख़्त इम्तिहान में है

अब्बास दाना

बेवफ़ाई उस ने की मेरी वफ़ा अपनी जगह

अब्बास दाना

किसी से इश्क़ करना और इस को बा-ख़बर करना

अब्बास अली ख़ान बेखुद

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