समय Poetry (page 77)

नई ग़ज़ल का नई फ़िक्र-ओ-आगही का वरक़

अब्दुल वहाब सुख़न

यूँ अश्क बरसते हैं मिरे दीदा-ए-तर से

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

ग़म से घबरा के कभी नाला-ओ-फ़रियाद न कर

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

उल्फ़त में तेरा रोना 'एहसाँ' बहुत बजा है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ब-वक़्त-ए-बोसा-ए-लब काश ये दिल कामराँ होता

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ज़ात उस की कोई अजब शय है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

कुछ तौर नहीं बचने का ज़िन्हार हमारा

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

क्या यहाँ देखिए क्या वहाँ देखिए

अब्दुल मन्नान तरज़ी

हर वरक़ इक किताब हो जाए

अब्दुल मन्नान तरज़ी

और तो दिल को नहीं है कोई तकलीफ़ 'अदम'

अब्दुल हमीद अदम

तौबा का तकल्लुफ़ कौन करे हालात की निय्यत ठीक नहीं

अब्दुल हमीद अदम

मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है

अब्दुल हमीद अदम

मुझ से चुनाँ-चुनीं न करो मैं नशे मैं हूँ

अब्दुल हमीद अदम

ख़ैरात सिर्फ़ इतनी मिली है हयात से

अब्दुल हमीद अदम

जिस वक़्त भी मौज़ूँ सी कोई बात हुई है

अब्दुल हमीद अदम

हम से चुनाँ-चुनीं न करो हम नशे में हैं

अब्दुल हमीद अदम

ग़म-ए-मोहब्बत सता रहा है ग़म-ए-ज़माना मसल रहा है

अब्दुल हमीद अदम

भूले से कभी ले जो कोई नाम हमारा

अब्दुल हमीद अदम

अगरचे रोज़-ए-अज़ल भी यही अँधेरा था

अब्दुल हमीद अदम

आज फिर रूह में इक बर्क़ सी लहराती है

अब्दुल हमीद अदम

उसे देख कर अपना महबूब प्यारा बहुत याद आया

अब्दुल हमीद

लहू की बूँद मिस्ल-ए-आइना हर दर पे रक्खी थी

अब्दुल हमीद साक़ी

इस से पहले कि हमें अहल-ए-जफ़ा रुस्वा करें

अब्दुल हमीद साक़ी

अपनी हस्ती से था ख़ुद मैं बद-गुमाँ कल रात को

अब्दुल अलीम आसि

यादों के नक़्श घुल गए तेज़ाब-ए-वक़्त में

अब्दुल अहद साज़

मेरी आँखों से गुज़र कर दिल ओ जाँ में आना

अब्दुल अहद साज़

मंज़र शमशान हो गया है

अब्दुल अहद साज़

मैं ने अपनी रूह को अपने तन से अलग कर रक्खा है

अब्दुल अहद साज़

बजा कि लुत्फ़ है दुनिया में शोर करने का

अब्दुल अहद साज़

यूँ तो शीराज़ा-ए-जाँ कर के बहम उठते हैं

अब्बास ताबिश

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