वहशत Poetry (page 1)

हासिल किसी से नक़्द-ए-हिमायत न कर सका

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मेरे आसमान के चाँद को ख़बर दो

मर्यम तस्लीम कियानी

वही मैं हूँ वही मेरी कहानी है

मोईन निज़ामी

उठा कर बर्क़-ओ-बाराँ से नज़र मंजधार पर रखना

ज़ुबैर शिफ़ाई

ज़ब्त की हद से भी जिस वक़्त गुज़र जाता है

शौक़ मुरादाबादी

लज़्ज़त-ए-हिज्र ने तड़पाया बहुत रुस्वा किया

नसीम शेख़

ये जहान-ए-आब-ओ-गिल लगता है इक माया मुझे

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

देख कर वहशत निगाहों की ज़बाँ बेचैन है

गौतम राजऋषि

वो आलम ख़्वाब का था

हारिस ख़लीक़

तिश्नगी

अनीस अहमद अनीस

बे-मुरव्वत हैं तो वापस ही उठा ले शब-ओ-रोज़

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

जाने हम ये किन गलियों में ख़ाक उड़ा कर आ जाते हैं

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

सफ़र मुझ पर अजब बरपा रही है

ज़िया ज़मीर

राहत-ए-वस्ल बिना हिज्र की शिद्दत के बग़ैर

ज़िया ज़मीर

गो आज अँधेरा है कल होगा चराग़ाँ भी

ज़िया फ़तेहाबादी

ये ख़्वाब सारे

ज़िया फ़ारूक़ी

मिरी आँखों में जो थोड़ी सी नमी रह गई है

ज़िया फ़ारूक़ी

विर्सा

ज़ेहरा निगाह

जुनून-ए-अव्वलीं शाइस्तगी थी

ज़ेहरा निगाह

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ज़ीशान साहिल

किसी की देन है लेकिन मिरी ज़रूरत है

ज़ीशान साहिल

दिन तिरी याद में ढल जाता है आँसू की तरह

ज़ेब ग़ौरी

मजनूँ का जो ऐ लैला जूता न फटा होता

ज़रीफ़ लखनवी

दिल के बुझते हुए ज़ख़्मों को हवा देता है

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

चुप के सहरा में फ़क़त एक सदा कौन हूँ मैं

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

दरीदा-जैब गरेबाँ भी चाक चाहता है

ज़की तारिक़

उस पे करना मिरे नालों ने असर छोड़ दिया

ज़ैनुल आब्दीन ख़ाँ आरिफ़

किसी की याद-ए-रंगीं में है ये दिल बे-क़रार अब तक

ज़हीर अहमद ताज

तू अगर ग़ैर है नज़दीक-ए-रग-ए-जाँ क्यूँ है

ज़हीर काश्मीरी

मैं हूँ वहशत में गुम मैं तेरी दुनिया में नहीं रहता

ज़हीर काश्मीरी

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