विश्वास Poetry (page 4)

किसी सबब से अगर बोलता नहीं हूँ मैं

इफ़्तिख़ार मुग़ल

चूमता पानी, पानी पानी

इफ़्तेख़ार जालिब

शहर इल्म के दरवाज़े पर

इफ़्तिख़ार आरिफ़

अज़ाब-ए-वहशत-ए-जाँ का सिला न माँगे कोई

इफ़्तिख़ार आरिफ़

वो मुझ को भूल चुका अब यक़ीन है वर्ना

इफ़्फ़त ज़र्रीं

अगर वो मिल के बिछड़ने का हौसला रखता

इफ़्फ़त ज़र्रीं

बर्क़ ने जब भी आँख खोली है

इब्न-ए-मुफ़्ती

ख़याल-ओ-ख़्वाब में कब तक ये गुफ़्तुगू होगी

हसन नईम

यक़ीन टूट चुका है गुमान बाक़ी है

हसन कमाल

चश्म-ए-जुनूँ में हुस्न-ए-सलासिल है बे-क़रार

हसन बख़्त

जिन का यक़ीन राह-ए-सुकूँ की असास है

हनीफ़ तरीन

उस के गुलाबी होंट तो रस में बसे लगे

हनीफ़ तरीन

जुदाइयों के तसव्वुर ही से रुलाऊँ उसे

हामिद इक़बाल सिद्दीक़ी

हुआ है सामने आँखों के ख़ानदाँ आबाद

हमदम कशमीरी

सफ़र ही कोई रहेगा न फ़ासला कोई

हकीम मंज़ूर

कोई पयाम अब न पयम्बर ही आएगा

हकीम मंज़ूर

मता-ए-दर्द का ख़ूगर मिरी तलाश में है

हैदर अली जाफ़री

काबा ओ दैर में है किस के लिए दिल जाता

हैदर अली आतिश

यूँ तो हसीन अक्सर होते हैं शान वाले

हफ़ीज़ जौनपुरी

तराना-ए-पाकिस्तान

हफ़ीज़ जालंधरी

हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके

हफ़ीज़ जालंधरी

वो देखने मुझे आना तो चाहता होगा

हबीब जालिब

कहफ़-उल-क़हत

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

नुमूद पाते हैं मंज़रों की शिकस्त से फ़तह के बहाने

ग़ुलाम हुसैन साजिद

मिरी विरासत में जो भी कुछ है वो सब इसी दहर के लिए है

ग़ुलाम हुसैन साजिद

गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग

ग़ालिब

गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग

ग़ालिब

नए जहाँ में पुरानी शराब ले आए

फ़ितरत अंसारी

न में यक़ीन में रख्खूँ न तो गुमान में रख

फ़िरदौस गयावी

हिण्डोला

फ़िराक़ गोरखपुरी

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