ज़ुल्मत Poetry (page 6)

समझना फ़हम गर कुछ है तबीई से इलाही को

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

कहानी एक रात की

दानिश फ़राज़ी

बाक़ी जहाँ में क़ैस न फ़रहाद रह गया

दाग़ देहलवी

समंदर का सुकूत

चन्द्रभान ख़याल

नए झगड़े निराली काविशें ईजाद करते हैं

चकबस्त ब्रिज नारायण

तुम याद मुझे आ जाते हो

बहज़ाद लखनवी

अहसन तक़्वीम

बेबाक भोजपुरी

ग़म-ए-आफ़ाक़ में आरिफ़ अगर करवट बदलता है

बेबाक भोजपुरी

रुख़ तुम्हारा हो जिधर हम भी उधर हो जाएँगे

बशीर महताब

शब-ए-फ़ुर्क़त नज़र आते नहीं आसार-ए-सहर

बर्क़ देहलवी

ताबिश-ए-हुस्न हिजाब-ए-रुख़-ए-पुर-नूर नहीं

बर्क़ देहलवी

रुख़-ए-हयात है शर्मिंदा-ए-जमाल बहुत

बख़्श लाइलपूरी

निशान-ए-ज़ख़्म पे निश्तर-ज़नी जो होने लगी

बद्र-ए-आलम ख़लिश

जले हैं दिल न चराग़ों ने रौशनी की है

बदीउज़्ज़माँ ख़ावर

तेरी यादें हैं जिन्हें दिल में बसा रक्खा है

अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी

एक मंज़र एक आलम

अज़ीज़ क़ैसी

बाक़ीस्त शब-ए-फ़ित्ना

अज़ीज़ क़ैसी

आह-ए-बे-असर निकली नाला ना-रसा निकला

अज़ीज़ क़ैसी

ये ग़लत है ऐ दिल-ए-बद-गुमाँ कि वहाँ किसी का गुज़र नहीं

अज़ीज़ लखनवी

ज़ंजीर-ए-पा से आहन-ए-शमशीर है तलब

अज़ीज़ हामिद मदनी

हर इक फ़नकार ने जो कुछ भी लिक्खा ख़ूब-तर लिक्खा

अज़ीज अहमद ख़ाँ शफ़क़

तुम्हारे पास रहें हम तो मौत भी क्या है

आज़ाद गुलाटी

दिन में इस तरह मिरे दिल में समाया सूरज

आज़ाद गुलाटी

शिकस्ता-दिल की ख़ुशी दोस्तो ख़ुशी तो न थी

औलाद अली रिज़वी

रात और रेल

असरार-उल-हक़ मजाज़

मुझे जाना है इक दिन

असरार-उल-हक़ मजाज़

किस से मोहब्बत है

असरार-उल-हक़ मजाज़

ख़्वाब-ए-सहर

असरार-उल-हक़ मजाज़

एक ग़मगीन याद

असरार-उल-हक़ मजाज़

अँधेरी रात का मुसाफ़िर

असरार-उल-हक़ मजाज़

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