ज़ुल्मत Poetry (page 1)

झाँकते लोग खुले दरवाज़े

महमूद शाम

ऐ लाहौर

जीलानी कामरान

तलाश-ए-नूर

दर्शन सिंह

तुलूअ'

ज़िया जालंधरी

मिरे जुनूँ में मिरी वफ़ा में ख़ुलूस की जब कमी मिलेगी

ज़िया फ़तेहाबादी

शहर में हम से कुछ आशुफ़्ता-दिलाँ और भी हैं

ज़ेब ग़ौरी

गो मिरी हर साँस इक पेगाज़-ए-सरमस्ती रही

ज़ेब ग़ौरी

हाइल दिलों की राह में कुछ तो अना भी है

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

फ़िक्र में डूबे थे सब और बा-हुनर कोई न था

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

मौत

ज़ाहिदा ज़ैदी

हमराह लुत्फ़-ए-चश्म-ए-गुरेज़ाँ भी आएगी

ज़हीर काश्मीरी

आइने में ख़ुद अपना चेहरा है

ज़हीर ग़ाज़ीपुरी

शांति

यूसुफ़ राहत

वो राहबर तो नहीं था इआदा क्या करता

याक़ूब आरिफ़

काम दीवानों को शहरों से न बाज़ारों से

यगाना चंगेज़ी

अपने अंदर उतर रहा हूँ मैं

वक़ार वासिक़ी

ज़मीर

वामिक़ जौनपुरी

अलिफ़ लैला

वामिक़ जौनपुरी

घर यार का हम से दूर पड़ा गई हम से राहत एक तरफ़

वली उज़लत

इश्क़ बेताब-ए-जाँ-गुदाज़ी है

वली मोहम्मद वली

आरियों की पहली आमद हिन्दोस्तान में

वहीदुद्दीन सलीम

मौत की जुस्तुजू

वहीद अख़्तर

खंडर आसेब और फूल

वहीद अख़्तर

फूल मुरझा जाएँगे काँटे लगे रह जाएँगे

तसनीम आबिदी

सिसकती मज़लूमियत के नाम

तारिक़ क़मर

कभी न आएँगे जाने वाले

तारिक़ क़मर

मैं ने ज़ुल्मत के फ़ुसूँ से भागना चाहा मगर

ताज सईद

शहर के दीवार-ओ-दर पर रुत की ज़र्दी छाई थी

ताज सईद

मंज़िलों उस को आवाज़ देते रहे मंज़िलों जिस की कोई ख़बर भी न थी

ताब असलम

तू नहीं है तो ज़िंदगी है उदास

सय्यद प्रवेज़

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