घर यार का हम से दूर पड़ा गई हम से राहत एक तरफ़

घर यार का हम से दूर पड़ा गई हम से राहत एक तरफ़

दिल एक तरफ़ आह एक तरफ़ मिलने की हसरत एक तरफ़

है मौत का रंग मिरा जीवना जिऊँ धुँदला चराग़ हूँ मैं

सकरात की ज़ुल्मत एक तरफ़ हस्ती की तोहमत एक तरफ़

जी आ रहा दीदा-ए-तर में मुझे दम लेने की ताब नहीं

ज़ोफ़ एक तरफ़ दर्द एक तरफ़ और काहिश-ए-ताक़त एक तरफ़

जूँ मुश्त-ए-सिपंद मिरे आज़ा जल दिल के अंगारे से उड़ते हैं

दाग़ों का महशर एक तरफ़ नालों की क़यामत एक तरफ़

दिल हात दे यार के क्यूँके लियूँ फेर आह जहाँ की मलामत से

जी लेवे है ग़ैरत एक तरफ़ मारे है मुरव्वत एक तरफ़

ग़ुल है पथराव है लड़कों का इक आह का लठ है हात मिरे

है सारा आलम एक तरफ़ दीवाना-ए-'उज़लत' एक तरफ़

(537) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Wali Uzlat. is written by Wali Uzlat. Complete Poem in Hindi by Wali Uzlat. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.